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जिला परिषद का फर्निचर घोटाला मामला
नागपुर/प्रतिनिधि दि.१८ – मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कल गुरूवार को जिला परिषद के फर्निचर घोटाला मामले में तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी कादंबरी बलकवडे को अमान्य नोेटिस जारी किया है. इस मामले पर न्यायमूर्तिद्बय अतुल चांदुरकर व पुष्पा गणेडीवाला के समक्ष सुनवाई हुई.
हाईकोर्ट ने 13 जुलाई 2017 को सामाजिक कार्यकर्ता मोहन कारमोरे की इस संदर्भ की जनहित याचिका का निपटारा करते हुए बलकवडे को स्वयं घोटाले की जांच करने का आदेश दिया था. जांच पूर्ण करने के लिए उन्हें तीन महिने का समय दिया गया था. साथ ही जांच रिपोर्ट की प्रत याचिका कर्ता कारमोरे को भी देने के लिए कहा था. बलकवडे ने उस आदेश की अवमानना की. इस तरह का आरोप कारमोरे ने किया. जिससे उन्होंने बलकवडे के खिलाफ अवमानना याचिका दाखल की. बलकवडे ने इस घोटाले की स्वयं जांच नहीं की. घोटाले का आरोप रहनेवाले कार्यकारी अभियंता नीता ठाकरे समेत अन्य दो अधिकारियों की समिति स्थापन कर जांच की गई. इस समिति ने घोटाला नहीं हुआ इस तरह की रिपोर्ट दी. यह जांच गैर कानूनी व न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करनेवाली है. इसके लिए बलकवडे पर अवमानना कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसा कारमोरे का कहना है.
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ऐसा है मामला
रवि भवन के आगे जिला परिषद की नई ईमारत बनाई गई है. 2011 -12 में इस ईमारत का बांधकाम पूर्ण हुआ. उसके बाद यहां के राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज सभागृह, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व मुख्य कार्यपालन अधिकारी का कक्ष, लेखा अधिकारी का कार्यालय समेत विविध विभागों के फर्निचर का काम हाथों में लिया गया. इस बीच फर्निचर तैयार करने के लिए लगनेवाली वस्तु ज्यादा दर पर खरीदी की गई. 26 नवंबर 2014 व 18 दिसंबर 2014 के शासन निर्णय के अनुसार 3 लाख रूपये से ज्यादा खर्च के काम करने हो तो ई-टेंडर प्रक्रिया अमल में लाना बंधनकारक है. किंतु जिला परिषद ने इस निर्णय का पालन नहीं किया. ऐसा कारमोरे का आरोप है.