विदर्भ

आरोपियों को बचाने जांच अधिकारी ने की बेईमानी

हाईकोर्ट ने लगायी फटकार

  • अपराध दर्ज करने का आदेश दिया

नागपुर प्रतिनिधि/दि.१६ – यवतमाल की अवधूत वाडी में घटित संदेहास्पद मौत के मामले में जांच अधिकारी ने आरोपियों को बचाने हेतु अपने कर्तव्य के साथ बेईमानी की. यह बात पता चलते ही मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने जिला पुलिस अधिक्षक को मामले की जांच अपराध शाखा के किसी सक्षम अधिकारी के सुपुर्द करने का आदेश दिया. साथ ही चार संदेहित आरोपियों के साथ ही प्रथम जांच अधिकारी के खिलाफ संबंधित धाराओं के अंतर्गत अपराध दर्ज करने व चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने की बात कही.
न्या. सुनील शुक्रे व न्या. अविनाश घारोटे के समक्ष हुई इस सुनवाई के संदर्भ में पता चला है कि, पटवारी के तौर पर कार्यरत विजय गाडवे की 26 जून 2018 को संदेहास्पद मौत हुई थी. उस समय कहा गया था कि, विजय गाडवे ने अपने ससूर बाबुराव आठवले के घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था. किंतु इस पर विजय के माता-पिता भीमाबाई (70) व गोविंदराव गाडवे (70) ने आक्षेप उठाते हुए कहा कि, विजय के ससूर बाबुराव आठवले (60), पत्नी रेश्मा विजय गाडवे, सास छबु बाबुराव आठवले (52) एवं साले ऋषभ बाबुराव आठवले ने विजय गाडवे को मौत के घाट उतार दिया और अब आरोपियों को बचाने हेतु इसे आत्महत्या का रंग दिया जा रहा है. ऐसे में इस मामले में पारदर्शक जांच होने हेतु गाडवे परिवार द्वारा हाईकोर्ट में अपील की गई थी. जिसकी सुनवाई और जांच करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि, इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों द्वारा अपने काम में बेईमानी की गई है..

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