नागपुर/ दि.18 – जांच पडताल समिति को किसी भी तरह एफआयआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है. उस संबंध में कोई भी प्रावधान नहीं है. परंतु समिति को मॅजिस्टेट से निजी मामले में शिकायत करने का अधिकार है, ऐसा निर्णय हाईकोर्ट ने दिया है. इस निर्णय के आधार पर नागपुर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता सहायक शिक्षिका पर एफआयआर व चार्जशीट रद्द की है.
इस मामले में न्या झेड.ए. हक और न्या. अमित बोरकर के समक्ष सुनवाई हुई. वैशाली नंदनवार, ऐसा याचिकाकर्ता महिला का नाम है. वे भंडारा जिला परिषद की शाला में सहायक शिक्षिका है. उनकी जांच समिति ने जात अवैध का निर्णय लिया था. जिसके कारण समिति के निर्णय को एड. शैलेश नारनवरे द्बारा हाईकोर्ट मेंं आव्हान दिया. 2013 में उनकी नौकरी को हाईकोर्ट ने संरक्षण दिया था. उनके खिलाफ जांच समिति ने पुलिस थाने में एफआयआर दर्ज किया. जिसके कारण उन्होंने एफआयआर हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की. हाईकोर्ट ने समिति न्यायालय में दर्ज की गई चार्जशीट व एफआयआर रद्द किया है. दोनों तरफ से हाईकोर्ट ने शिक्षिका पर एफआयआर व चार्जशीट रद्द की. वैशाली द्बारा एड. शैलेश नारनवरे ने पैरवी की.
- समिति को धारा 11 (1),(ब)के अनुसार एफआयआर दर्ज नहीं की जा सकती. वे मजिस्ट्रेट से निजी शिकायत कर सकते है. ऐसा महत्वपूर्ण फैसला 2011 में हाईकोर्ट ने विजय मांजरेकर के एक मामले में दिया. वैशाली के जात प्रमाणपत्र 1982 के है. तथा जांच में कानून 2001 में आया है. यह कानून पूर्व की तरह लागू नहीं हो सकता. सेक्शन 11 (1)(ब)यह इसका प्रभाव है. यह कानून 18 अक्तूबर 2001 के बाद लागू है.