रेड्डी को बचाने के लिए जांच समिति का गठन!
नागपुर/प्रतिनिधि दि.३ – दीपाली चव्हाण आत्महत्या मामले की जांच पुलिस विभाग करते समय इस मामले से संबंधित अधिकारियों की विभागीय जांच की मांग राज्य के वनबल प्रमुख से की गई. इस मांग को बगल देते हुए उन्होंने आत्महत्या मामले की जांच के लिए समिति गठित की. रेड्डी को बचाने के लिए यह जांच समिति गठित की जा रही है. महिला आयोग ने रिपोर्ट मांगी, इस कारण थातुरमातुर जांच कर वनबल प्रमुख उनकी जिम्मेदारी झटक रहे है, इस तरह की आलोचना अब हो रही है.
आत्महत्या से पहले लिख छोडे पत्र में दीपाली ने जो बाते स्पष्ट की है उसकी जांच पुलिस दल कर रहा है, इस कारण इस मामले के निलंबित उपवन संरक्षक शिवकुमार व निलंबित क्षेत्र संचालक तथा अप्पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास रेड्डी की विभागीय जांच की मांग महाराष्ट्र वनसेवा के अधिकारी तथा संगठन ने की थी. यह मांग वनबल प्रमुख की ओर से ठुकराई गई और उसी विषय की जांच के लिए एक समिति गठित की. इस समिति ने एक-दो सदस्य छोड अन्य सदस्य इस मामले से संबंधित रहने से यह समिति केवल दिखावा रहने का प्रकार होने की आलोचना हो रही है. समिति को रिपोर्ट देने के लिए दो महिने का समयावधि दिया गया है. इतना लंबा समयावधि केवल मामला रफाृदफा करने के लिए दिये जाने की आलोचना हो रही है. इस समिति को निश्चित अधिकार क्या है, यह भी स्पष्ट नहीं है. समिति के सदस्य यह विभाग के ही अधिकारी है. इस कारण संबंधित अधिकारियों को बचाने के लिए ही जांच समिति का यह दिखावा तो नहीं? इस तरह का प्रश्न उपस्थित किया जा रहा है.
-
आखिर क्या हो रहा है मामले में?
– जिन विषयों पर पुलिस जांच कर रही है, उसी विषय पर जांच के लिए समिति गठित की गई है.
– इस समिति में कानून विशेषज्ञ, वैद्यकीय विशेषज्ञ व सामाजिक क्षेत्र के व्यक्ति रहना अपेक्षित था. किंतु इसमें वन विभाग के अधिकारियों की संख्या ज्यादा है.
– इतना ही नहीं तो समिति में सदस्य के तौर पर स्वयंसेवियों का चयन करने का अधिकार अमरावती के मुख्य वन संरक्षक प्रवीण चव्हाण को कैसे दिया गया, इसपर भी आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है.