विदर्भ

तलाक के बाद भी पत्नी को खावटी देना अनिवार्य

उच्च न्यायालय का निर्णय, पति का विरोध खारिज किया

नागपुर/ दि.18 – कानून व्दारा निर्धारित किये गए मानक पूर्ण करने वाली पत्नी को तलाक देने के बाद भी खावटी देना अनिवार्य है, ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति गोविंद सानप ने एक प्रकरण में दिया है. साथ ही पति के खावटी के विरोध की याचिका खारिज कर दिये.
पति कोई भी कारण के बिना अलग रहती रहने से और वह क्रुरतापूर्वक बर्ताव करती रहने से पारिवारिक न्यायालय ने तलाक दिया है. इस कारण पत्नी को खावटी नहीं दी जा सकती ऐसा पति का कहना था. उच्च न्यायालय ने यह दावा नामंजूर किया. तलाक होेने के बाद पत्नी खुद की देखभाल करने में असमर्थ हो और उसने दूसरा विवाह न किया हो, तो फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के मुताबिक वह पति से खावटी मिलने पात्र है, ऐसा अदालत ने स्पष्ट कहा. इसके अलावा पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, इस ओर भी ध्यान केंद्रीत किया गया. 26 जून 2019 को पारिवारिक न्यायालय ने पीडित पत्नी को 7 हजार रुपए खावटी मंजूर की है. इसके विरोध में पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. पति रेलवे में कर्मचारी है. उसे 45 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है. इस दम्पति का 27 मई 2011 को विवाह हुआ था. पश्चात तीन साल में ही उनमें विवाद बढ गया था. इस दम्पति को 10 साल की बेटी है.

क्या कहता है कानून?
फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 125 (1) में पत्नी यानी क्या? इस विषय पर स्पष्टीकरण दिया गया है. इसके मुताबिक पत्नी की श्रेणी में पति व्दारा तलाक देने पर तथा पति से तलाक लिए और तलाक के बाद दूसरा विवाह नहीं किया, ऐसी महिला का समावेश होता है. पत्नी की जीवनभर देखभाल करना और उसे समान दर्जे का जीवन प्रदान करने पति का नैतिक दायित्व है. यह इस प्रावधान से स्पष्ट होता है.
– एड. रोहण छाबरा, हाईकोर्ट

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