विदर्भ

न्यायप्रविष्ट मामलों से जान बचाना ज्यादा जरुरी

हाईकोर्ट ने व्यक्त किये विचार

  • कोरोना से दिवानी मुकदमें पर सुनवाई आगे ढकेली

नागपुर प्रतिनिधि/दि.९ – फिलहाल समूचा विश्व धोकादायक कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड रहा है. इस दौरान न्यायप्रविष्ट मामले जल्दबाजी में निपटाने से जान बचाना अधिक महत्वपूर्ण है. न्यायप्रविष्ट मामले अन्य उचित समय पर निकाल में लिये जा सकते है. इस तरह के विचार मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति विनय देशपांडे ने एक मामले पर निर्णय में व्यक्त किये और दिवानी न्यायालय में प्रलंबित एक दावे पर सुनवाई 4 मार्च तक आगे ढकेल दी. वर्तमान स्थिति में स्वास्थ्य की उचित निगाह न बरती तो जान जा सकती है.उसके बाद इस नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती. साथ ही गई हुई जान वापस नहीं आ सकती. जिससे दिवानी न्यायालय में संबंधित दावे पर सुनवाई केवल एक दिन आगे ढकेलने से पहले यह पहलु विचार में लेना आवश्यक था, ऐसा भी हाईकोर्ट ने कहा है.
इंडो रामा शिंथेटीक कंपनी ने ब्ाुटीबोरी सीईपीटी कंपनी व अन्य दो के खिलाफ पैसे वसूली, मनाई हुकूम आदि के लिए वरिष्ठ स्तर दिवानी न्यायालय में दावा दाखल किया है. उस दावे पर 25 जनवरी 2021 को सुनवाई थी किंतु एक 74 वर्षीय ज्येष्ठ वकील को कोरोना की लागन होने से बुटीबोरी सीईपीटी कंपनी ने दावे पर सुनवाई तीन सप्ताह स्थगित करने की अपील की थी. दिवानी न्यायालय ने मात्र यह दावा तत्काल निपटाना आवश्यक रहने का निरीक्षण नोंद कर सुनवाई केवल एक दिन के लिए आगे ढकेली. उसके खिलाफ बुटीबोरी सीईपीटी कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने वह याचिका मंजूर की व उक्ताशय के विचार व्यक्त कर दिवानी न्यायालय का विवादास्पद आदेश रद्द किया. साथ ही संबंधित दावे पर आगामी 4 मार्च को आगे सुनवाई लेने के निर्देश दिये.

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