विदर्भ

नागरिकों के जीवन में मुश्किले लाना यह कानून का मकसद नहीं

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

* भाभी के विनयभंग का मामला रद्द किया
नागपुर/दि.17– देश के सभी कानून समाज की आवश्यकता पूर्ण करने के लिए तैयार किए गए हैं. नागरिकों के जीवन में दुविधा निर्माण करना यह किसी भी कानून का मकसद नहीं है, ऐसा महत्वपूर्ण फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने भाभी के विनयभंग का एफआईआर रद्द करते हुए सुनाया. न्या. विनय जोशी और न्या. वाल्मिकी मेनेझेस ने संबंधित प्रकरण पर निर्णय दिया.
इस प्रकरण की शिकायकर्ता भाभी ने एफआईआर दर्ज होने के कुछ माह बाद परिवार के प्रयासों के कारण आरोपी देवर के साथ समझौता कर विवाद समाप्त किया. पश्चात देवर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की थी. इस याचिका का सरकारी पक्ष ने कडा विरोध किया.

लेकिन न्यायालय ने प्रकरण की अपवादात्मक परिस्थिति को देखते हुए याचिका मंजूर की. विनयभंग की घटना के बाद भाभी ससुराल का घर छोडकर मायके चली गई थी. खुद की कोई गलती न करते हुए उसका वैवाहिक जीवन संकट में आ गया था. समझौता होने के कारण वह ससुराल लौट आई है. वह अपने पति के साथ खुशी से रह रही है. यह एक ही परिवार की घटना रहने के कारण एफआईआर रद्द किया तो किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा, बल्कि दोनों पक्षों का रहेगा, ऐसा भी अदालत ने कहा. इस कारण हाईकोर्ट ने अमर्यादित अधिकार समाज के कल्याण का विचार करना यह कानून के राज्य का मुख्य उद्देश्य रहता है. इस कारण न्यायालयीन प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो और न्यायदान का महत्व टिकाए रखने के लिए उच्च न्यायालय को अमर्यादित अधिकार प्रदान किए हैं. इसके मुताबिक यह एफआईआर रद्द करना आवश्यक है, ऐसा भी न्यायालय ने कहा.

* ऐसी थी भाभी की शिकायत
यह घटना अकोला जिले की है. 10 दिसंबर 2020 को दोपहर 2 बजे के दौरान भाभी अकेली ही घर में थी. तब आरोपी ने उसे पीछे से पकडकर अश्लील हरकते की, ऐसी शिकायत थी. 12 दिसंबर 2020 को बार्शीटाकली पुलिस ने देवर के खिलाफ धारा 354, 354 (अ), 452, 504, 506 के तहत एफआईआर दर्ज किया था.

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