विदर्भ

शरीर पर टेटू निकालने से नौकरी के लिए अपात्र ठहराना अनुचित

उच्च न्यायालय का निर्णय

नागपुर/ दि. 25– शरीर पर टेटू के कारण उम्मीदवार को नौकरी के लिए अपात्र ठहरना गैर कानूनी है, ऐसा महत्वपूर्ण फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने सुनाया. न्यायमूर्ति नितिन सांबरे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया.
याचिका के मुताबिक निखिल गर्डे नामक युवक ने सीआरपीएफ कांस्टेबल चालक पद के लिए परीक्षा उत्तीर्ण की. लेकिन वैद्यकीय जांच के दौरान उसके एक हाथ पर ‘एन’ इस अंग्रेजी शब्द का टेटू था. इस कारण निखिल को अपात्र ठहराया गया. पश्चात निखिल ने पुनरावलोकन वैद्यकीय जांच दी. लेकिन टेटू के चिन्ह के कारण पुनरावलोकन वैद्यकीय समिति ने भी निखिल को अपात्र ठहराया. इस कारण निखिल ने न्यायालय में गुहार लगाई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि वैद्यकीय जांच के पूर्व लेसर उपचार द्बारा यह टेटू निकाला था. इसमें प्रत्यक्ष में केवल एक दाग दिख रहा है. 20 मई 2015 की भर्ती की मार्गदर्शक सूचना में धार्मिक भावना दर्शानेवाला टेटू स्वीकार्य है. लेकिन यह नियम भारतीय संविधाल की धारा 21 के विरोध में है, ऐसा युक्तिवाद याचिकाकर्ता ने किया. याचिकाकर्ता को अन्य किसी भी परीक्षा में अपात्र नहीं ठहराया गया. इस कारण केवल टेटू के आधार पर नौकरी के लिए अपात्र ठहराना गैरकानूनी है. इस कारण यह निर्णय रद्द करने की मांग न्यायालय में की गई. सुनवाई के दौरान सीआरपीएफ द्बारा ली गई आपत्ति संविधान की धारा 21 के विरोध में रहने से वह लेसर उपचार द्बारा टेटू निकालने के बाद भी याचिकाकर्ता को अपात्र ठहराना अनुचित रहने से न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अपात्र ठहराने का निर्णय रद्द किया. याचिकाकर्ता अन्य किसी भी कारणों से अपात्र न रहा तो उसकी नियुक्ति चार सप्ताह के भीतर करने के आदेश न्यायालय ने दिए. याचिकाकर्ता की तरफ से एड. अमित बालपांडे ने तथा सीआरपीएफ की तरफ से एड. वी.एम. ब्रम्हे ने काम संभाला.

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