विदर्भ

खामगांव सिटी पुलिस को दोषारोप दाखिल नहीं करने के आदेश

मामला मायके में पति को रहने तथा नौकरी करने के लिए मजबूर करने का

बुलढाणा प्रतिनिधि/दि.१९ – पति को उसके माता पिता से विभक्त कर स्वयंम के मायके में नौकरी करने के लिए दबाव लानेवाली पत्नी के खिलाफ उच्च न्यायालय ने नोटीस भेजी है. पता चला है कि विगत ४ अगस्त को पत्नी ने पति आशीष मकेश्वर, सास, ससुर, उम्रदराज मामा व आठ माह की गर्भवती रहनेवाी ननद के विरोध में पति पर दबाव डालने के लिए धारा ४९८-ए, ३२३,५०४, ३४ के तहत खामगांव सिटी पुलिस थाने में अपराध दर्ज किया था. मामले की हकीकत यह है कि पारिवारिक विवाद में पत्नी ने पति को सास, ससुर से विभक्त रहने के लिए व शादी से पहले शुरू रहनेवाले अस्पताल में नर्स के रूप में नौकरी करने के लिए तथा पति को स्वयंम के साथ मायके व उसी अस्पताल में नौकरी करने के लिए दबाव डालने के लिए पति व अन्य रिश्तेदारों के विरोध में अपराध दर्ज किया. इस मामले की याचिका मुंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ में चल रही थीं. इसी सुनवाई के दरम्यिान शिकायत दाखिल करने का प्रयास करनेवाली पत्नी को झटका देते हुए खामगांव सिटी पुलिस को मामले में दोषारोप दाखिल नहीं करने का आदेश दिया है. खामगांव पुलिस थाना अंतर्गत पत्नी ने कर्ज चुकता करने के लिए पांच लाख रुपयों की मांग की थीं. लेकिन पत्नी की गैरकानूनी मांग को मान्य नहीं करने पर पत्नी ने परेशान करने का आरोप लगाकर छोटे बच्चे को लेकर घर छोडकर चली गई थीं. इसके बाद जब पति अपनी पत्नी और बच्चे को वापस लाने के लिए गया तो पत्नी ने माता पिता से अलग होकर स्वयंम के मायके में रहकर नौकरी करने की शर्त पति पर लादी. पति ने यह शर्त मान्य नहीं की. जिसके बाद पत्नी ने अगस्त माह में ससुराल के लोगों के खिलाफ खामगांव सिटी पुलिस थाने में शिकयत दर्ज करायी. इस मामले की पूरी जांच पडताल करने के बाद एड. सपना जाधव ने आरोपी आशीष मकेश्वर और उनके रिश्तेदारों की ओर से न्यायालय में मामले को धारा ४८२ के तहत रद्द करने को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में पीटीशन दाखिल की. इतना ही नहीं तो न्यायालय का एड.

सपना जाधव ने इस बात पर ध्यानाकर्षण कराया की आशीष मकेश्वर व उनके रिश्तेदारों के विरोध में कोई भी अपराध साबित नहीं हो रहा है. पत्नी ने जानबूझकर पति पर दबाव लाने का काम किया है. इस युक्तीवाद को ग्राह्य मानते हुए नागपुर न्यायालय के न्यायाधीश वी.एम. देशपांडे व न्यायाधीश किलोर की खंडपीठ ने पत्नी को तगडा झटका देते हुए खामगांव सिटी पुलिस थाने में पुलिस अधिकारियों को मामले में कोई भी दोषारोपत्र दाखिल नहीं करने का आदेश दिया है.

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