अपनी बच्ची हासिल करने कुमारी माता पहुंची हाईकोर्ट में
हाईकोर्ट ने सरकार को दिए डीएनए टेस्ट करने के आदेश
नागपुर-दि 20 ढाई वर्ष आयुवाली अपनी बच्ची को अपने कब्जे में प्राप्त करने हेतु मुंबई निवासी एक कुमारी माता ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में गुहार लगायी है. पश्चात न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटीस जारी करते हुए अगले दो सप्ताह के भीतर इस मामले में अपना जवाब देने हेतु कहा है. साथ ही इसी कालावधि में याचिकाकर्ता कुमारी माता व ढाई वर्ष आयुवाली बच्ची की डीएनए टेस्ट करते हुए उसकी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा जिला बालकल्याण समिती, जिला बाल संरक्षण अधिकारी तथा किलबिल संस्था को भी अपना पक्ष रखने हेतु कहा गया है.
जानकारी के मुताबिक यह कुमारी माता अपने प्रेमी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहा करती थी. जिससे गर्भवती होने के बाद उसने दिसंबर 2019 मेंं एक बच्ची को जन्म दिया और जब यह बच्ची तीन माह की हो गई, तो उसे पालन-पोषण व देखभाल हेतु चंद्रपुर में रहनेवाले एक दम्पति के सुपुर्द किया. परंतु बाद में इस कुमारी माता को पता चला कि, उस दम्पति द्वारा बच्ची का सही तरीके से ध्यान नहीं रखा जा रहा. अत: उसने अपनी बच्ची वापिस मांगी. लेकिन उस दम्पति ने बच्ची लौटाने में टालमटोल करना शुरू कर दिया. जिसके चलते कुमारी माता ने रामनगर पुलिस स्टेशन के साथ ही जिला बाल संरक्षण अधिकारी के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करायी. जिसके बाद संबंधित दम्पति से बच्ची वापिस लेकर उसे महिला व बालकल्याण समिती को सौंपा गया तथा आगे चलकर समिती ने इस बच्ची को किलबिल संस्था में भिजवाया. तब से यह बच्ची किलबिल संस्था में ही रह रही है.
ऐसे में इस कुमारी माता ने महिला व बालकल्याण समिती के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की. जहां पर न्या. रोहित देव व न्या. अनिल पानसरे की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई. जहां पर कुमारी माता की ओर से पैरवी करते हुए एड. अनिल ढवस ने कहा कि, किसी भी बच्चे पर पहला अधिकार उसकी जन्मदात्री मां का होता है. अत: बच्ची को उसकी मां के हवाले ही किया जाना चाहिए और चूंकि बच्ची की मां खुद सामने मौजूद है. अत: उस बच्ची को किसी संस्था में नहीं रखा जा सकता.