विदर्भ

महाविकास आघाडी सरकार को हाईकोर्ट से मिली राहत

विकासकार्य में भेदभाव का आरोप लगाती याचिका रद्द

नागपुर/दि.23 – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ से प्रदेश की सत्ताधारी महाविकास आघाडी सरकार को बडी राहत मिली है. न्यायमूर्ति नितीन जामदार और न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ ने अकोला के भाजपा विधायक गोवर्धन शर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें शर्मा ने महाविकास आघाडी सरकार पर अकोला के विकास कार्य के लिए जारी निधि के दुरुपयोग का आरोप लगाया था.
दरअसल, राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में जीआर जारी करके तय किया था कि, शहर के विकास कार्य के लिए राज्य सरकार और स्थानीय नगर पालिका 50-50 प्रतिशत खर्च वहन करेंगे. इस फैसले के आधार पर तत्कालीन युति सरकार ने अकोला के कुल 91 विकस कार्यों के लिए करीब 15 करोड रुपए मंजूर किए थे. लेकिन फिर 22 सितंबर को विधानसभा चुनाव घोषित हुए, जिसके चलते विकासकार्य स्थगित कर दिए गए. इसके बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और महाविकास आघाडी ने राज्य की सत्ता संभाली. इसके बाद 16 जुलाई 2020 को जीआर जारी करके अकोला शहर के लिए पूर्व निर्धारित विकास कार्य रद्द करके 176 नए कार्यों की सूची जारी की गई. इस नए जीआर को शर्मा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने दावा किया कि, उनके बडे प्रयत्न करने के बाद अकोला शहर के लिए विकास कार्य मंजूर हुए थे, जिसे नई सरकार ने बगैर ठोस कारण के रद्द कर दिया.

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