युति व आघाडी का चक्कर छोडो, अपने दम पर लडने की तैयारी करो
राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक संजय खोडके ने पार्टीजनों को दिया ‘कानमंत्र’

नागपुर /दि.24– राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना होकर 25 साल हो चुके है. इसमें 20 साल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी राज्य की सत्ता में थी. परंतु इसके बावजूद विदर्भ क्षेत्र में राकांपा अपनी जडों को मजबूत नहीं कर पाई है. जिसके चलते विधानसभा ही नहीं बल्कि स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों की संख्या नगण्य है. क्योंकि हम आज तक युति और आघाडी के चक्कर में ही फंसे रहे. ऐसे में यदि हमें अपनी पार्टी को बढाना है तो हमने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव हेतु युति व आघाडी के चक्कर में नहीं पडना चाहिए. बल्कि अपने अकेले के दम पर चुनाव लडने की तैयारी करनी चाहिए, इस आशय का प्रतिपादन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक संजय खोडके द्वारा किया गया.
गत रोज नागपुर एवं अमरावती संभाग से वास्ता रखनेवाले राकांपा के प्रमुख पदाधिकारियों का सम्मेलन गत रोज नागपुर में हुआ. जिसमें पार्टीजनों का मार्गदर्शन करते हुए पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य संजय खोडके ने कहा कि, किसी समय विदर्भ में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 11 विधायक थे और अब यह संख्या 6 पर आ गई है. पहले हमारी कांग्रेस के साथ आघाडी थी, तो हमारे हिस्से में बेहद कम सीटे आती थी. अब हम भाजपा के साथ महायुति में है और भाजपा के विदर्भ क्षेत्र से करीब 39 विधायक निर्वाचित हुए है. जिसके चलते सीट बंटवारे के मामले में हमारी ताकत और भी कम हुई है, यानि कुल मिलाकर पहले आघाडी और अब महायुति में रहने के चलते हमारी ही पार्टी का नुकसान होता दिखाई दे रहा है. जबकि विधानसभा चुनाव के समय विदर्भ में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शत-प्रतिशत सफलता हासिल की और 6 मे से 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनकर लाए. मोर्शी-वरुड निर्वाचन क्षेत्र राकांपा के अधिकार वाला निर्वाचन क्षेत्र था. जो भाजपा ने अपने हिस्से में ले लिया अन्यथा हमारी झोली में एक और सीट रही होती, ऐसा भी विधायक खोडके का कहना रहा.
इस समय विधायक खोडके ने यह भी कहा कि, विदर्भ क्षेत्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी संगठनात्मक रुप से कमजोर है, यह बात सभी ने मान्य करनी चाहिए. आज विदर्भ की 62 सीटों में से 39 सीटों पर भाजपा, 8 सीटों पर कांग्रेस, 5 सीटों पर शिवसेना उबाठा, 4 सीटों पर शिंदे सेना व 6 सीटों पर राकांपा के विधायक है. जिसे देखते हुए भविष्य में कैसे लडना है और कितनी सीटे मांगनी है, इस पर हमें अभी से विचार करना होगा. साथ ही किसी अन्य दल से युति करनी है या स्वतंत्र रुप से चुनाव लडना है, हमें इसका भी निर्णय करना होगा. इसके साथ ही विधायक खोडके ने यह भी कहा कि, कुछ पदाधिकारी हमेशा ही मुंबई में दिखाई देते है और उन्हें अपने गांव की ग्राम पंचायत के बारे में कोई जानकारी नहीं होती और वे एक सदस्य तक चुनकर नहीं ला सकते है. ऐसे लोगों के प्रति कोई नाराजगी नहीं रहने की बात कहते हुए विधायक खोडके ने कहा कि, पार्टी के वरिष्ठ एवं अनुभवी नेताओं ने जमीनी लडाई को लेकर रणनीति तय करने के साथ ही पार्टी के अधिक से अधिक उम्मीदवारों को चुनकर लाने की ओर ध्यान देना चाहिए.
* व्यक्तिगत लाभ से उपर सोचना होगा
इस समय विधायक संजय खोडके ने यह भी कहा कि, पार्टी को विदर्भ क्षेत्र में अपनी जडे मजबूत करने हेतु अपनी ताकत बढानी होगी. जिसके तहत पदाधिकारियों को स्वयस्फूर्त रुप से आगे बढकर जिम्मेदारी स्वीकारनी होगी. ‘अलाना-फलाना’ चुनकर आ गया तो अपना महत्व कम हो जाएगा, इस बात की चिंता भी छोडनी होगी. क्योंकि कुछ लोग अच्छे संगठक होते है परंतु वे चुनकर नहीं आ सकते. अत: ऐसे लोगों का पार्टी ने स्वतंत्र तौर पर विचार करना चाहिए और उन्हें अलग जिम्मेदारी देनी चाहिए. साथ ही ऐसे लोगों ने पार्टी द्वारा दिए गए उम्मीदवार का विरोध भी नहीं करना चाहिए. ताकि व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा के चलते पार्टी का कहीं कोई नुकसान न हो.
* मैं ऐसे बना विधायक
इस समय विधायक संजय खोडके ने कहा कि, राकांपा के अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने विदर्भ की ओर बिलकुल अनदेखी नहीं करने की गारंटी दी है और पार्टी के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रफुल पटेल भी विदर्भ क्षेत्र के लिए हमेशा ही आग्रही रहते है और मुंबई जाकर पार्टी नेतृत्व के समक्ष आवाज भी उठाते है. सांसद प्रफुल पटेल ने ही विधान परिषद की एक सीट विदर्भ को देने का जबरदस्त आग्रह किया था. जिसके चलते आज वे विधान परिषद के सदस्य बन पाए है.