नागपुर/दि.18– तेंदुए की 15 प्रजाति है. जिसमें भारत में 10 प्रजाति दिखाई देती है. तेंदुए की भी एक प्रजाति है. भारत में पहले तेदुंआ दिखाई दिया. वह भी पेंच व्याघ्र प्रकल्प मे. जिसके कारण इसके बाद पर्यटकों को अब जंगल में बाघ के साथ तेंदुए के दर्शन होगे.
मध्य भारत में पहले तेंदुआ का दर्शन पेंच व्याघ्र प्रकल्प में हुआ है. कैमेरे ट्रैपिंग में यह तेंदुआ , बिल्ली नरहर गांव के पास दिखाई दिए है. यह स्थान एक हंगामी जल प्रवाह के पास है. तेंदुआ दिखाई देने की यह पहली घटना है. तेंदुआ ये उदर का शिकार करके पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस प्रजाती के संबंध में अभी तक अधिक जानकारी नहीं है.
तेंदुआ ईशान्य भारत, उत्तर हिमालयीन राज्य, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पश्चिम घाट के कुछ क्षेत्रों में सीमित मात्रा में दिखाई देता है. परंतु मध्य भारत में तेंदुए का अस्तित्व नहीं है. पेंच व्याघ्र प्रकल्प का क्षेत्रफल 741.22 चौरस किलोमीटर है. इसमें 7 वनपरिक्षेत्र है. उसमें से दो बफर और पाच कोर वनपरिक्षेत्र है.
इस व्याघ्र प्रकल्प का नाम 74 किमी क्षेत्र में फैला जानेवाला पेंच नदी के उपर से लिया गया है. इस नदी के कारण व्याघ्र प्रकल्प पूर्व और पश्चिम पेंच के रूप में विभाजित किया गया. पेंच व्याघ्र प्रकल्प का उत्तर की तरफ का भाग पहाडी तथा दक्षिण की ओर का भाग सीधा है. प्रकल्प में उष्ण कटिबंधीय सूखा पर्णपाती और अर्थ सदाहरित जंंगल ऐसा वन प्रकार है. इसमें सागौन सबसे अधिक है. व्याघ्र प्रकल्प के पश्चिम में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प, आग्नेय में नवेगाव-नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प, उत्तर में पेंच व्याघ्र प्रकल्प (मध्यप्रदेश) और ईशान में कान्हा व्याघ्र प्रकल्प (मध्यप्रदेश) सहित कॉरिडॉर कनेक्टिीविटी है. तेंदुआ यह मानसिंग देव वन्यजीव अभयारण्य का भाग बफर वनपरिक्षेत्र नागलवाडी के नरहर बीट में कक्ष क्रमांक 663 में दिखाई दिया है.