आत्मनिर्भर बनना चाह रही महिलाओं को स्वतंत्र रूप से जीने दें
नागपुर हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश

* एक युवती ने हेअर स्टाईलिस्ट बनने के लिए छोडा था घर
नागपुर/दि.26- अपने पैरों पर खडे रहने हेतु हेअर स्टाईलिस्ट बनने का स्वप्न देखनेवाली और इसके लिए अपना घरबार छोड देनेवाली महिला को स्वतंत्र तौर पर जीने दिया जाये और उसे किसी भी तरह की शारीरिक अथवा मानसिक तकलीफ न दी जाये, इस आशय का आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने बुधवार को सभी संबंधितों के नाम जारी किया. न्यायालय ने कहा कि, यह महिला बालिग एवं संज्ञान है तथा उसे अपनी मर्जी के हिसाब से जीने का पूरा अधिकार भी है. जिसमें किसी के भी द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.
गत रोज अपने आप में बेहद अनूठे रहनेवाले इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित देव की अदालत के सामने हुई. अदालत ने कहा कि, इस महिला की आयु 26 वर्ष है और इसे बेहद सामान्य और सौम्य लक्षणवाला मानसिक विकार है. जिसके लिए उसे बंदिस्त रखने की कोई जरूरत नहीं है. ऐसे में उसे उसकी इच्छा के खिलाफ आश्रय गृह में रहने हेतु मजबूर नहीं किया जा सकता. इस महिला के ससुराल नागपुर में और मायका उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है और उसे इन दोनों स्थानों पर नहीं जाना है, बल्कि वह नई दिल्ली जाकर हेअर स्टाईलिस्ट बनते हुए अपने पैरों पर खडी होना चाहती है. ऐसे में उसे आश्रय गृह से छोड दिया जाना चाहिए. इसके बाद उसका पति उसे नई दिल्ली लेकर जाये और वहां पर हेअर स्टाईलिस्ट प्रशिक्षण हेतु उसका किसी संस्थान में दाखिला करवाये. जिसके बाद जब इस महिला की दिल्ली में तमाम व्यवस्थाए हो जाये, उसके बाद उसका पति उसे वहां छोडकर नागपुर वापिस आये, ऐसा भी नागपुर हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में आदेश जारी किया गया.
*इस वजह से छोडा घर
अपने मायके में परिवारवालों के दबाव के चलते यह महिला हेअर स्टाईलिस्ट बनने का अपना सपना पूर्ण नहीं कर पायी थी. वहीं कुछ माह पूर्व उसका विवाह भी करवा दिया गया, लेकिन वह ससुराल में भी अपने सपने को लेकर काफी बेचैन थी. जिसके चलते वह अपने मायके चली गई, लेकिन वहां पर विवाद होने के चलते माता-पिता का घर छोडकर रेल के जरिये नागपुर चली आयी.
* ऐसे पहुंची आश्रय गृह में
यह महिला नागपुर रेल्वे स्टेशन पर मानसिक तनाव के तहत इधर से उधर भटक रही थी. इसी दौरान रेलवे पुलिस को उस पर संदेह हुआ और पुलिस ने उसे अपने कब्जे में लेकर उससे पूछताछ की. इस समय महिला के अकेली रहने की बात ध्यान में आते ही इस महिला को पाटणकर चौक स्थित महिला आश्रय गृह में भेज दिया गया.
* मां सहित एक अन्य महिला ने मांगी थी कस्टडी
इस महिला को आश्रय गृह से छोडने और उसकी कस्टडी लेने के लिए एक महिला वकील ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. इसी दौरान इस महिला की मां ने भी इसके लिए आवेदन किया था. लेकिन अदालत ने इस पूरे मामले में तथ्यों को ध्यान में रखते हुए किसी को भी इस महिला की कस्टडी नहीं दी, बल्कि उसे अपने सपनों के साथ स्वतंत्र तौर पर जीने का अधिकार देने हेतु कहा.