पंद्रह साल बाद हत्यारों को उम्रकैद
नागपुर/दि.१९ – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने वर्धा जिले के रोहाणे गांव में वर्ष २००५ में हुई हत्या के मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. वर्ष २००६ में वर्धा सत्र न्यायालय ने आरोपियों को बरी कर दिया था. पुलिस ने सत्र न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि मृतक के परिजनों की गवाही को महत्व न देकर निचली अदालत ने भूल की है, आरोपियों को बरी करने का उसका फैसला गलत था. इस निरिक्षण के साथ हाईकोर्ट ने दोषी नामदेव दायरे, मालू उईके, गिरीश मदाडे और श्यामराव गोंडाने (नि रोहाणे, जिला वर्धा) को राजकुमार नामक व्यक्ति की हत्या का दोषी करार देकर उम्रकैद और १० हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.
परिजनों की गवाही महत्वपूर्ण
२३ फरवरी २००५ की देर रात आरोपियों का अपने पडोसी राजकुमार से विवाद हो गया था. विवाद में आरोपियों ने उस पर शस्त्रों से हमला कर दिया. उसकी पत्नी मनीषा और मां शोभा इस हत्या के चश्मदीद गवाह थे. इस प्रकरण में वर्धा सत्र न्यायालय ने सबूतों को नाकाफी मान कर आरोपियों को बरी कर दिया था. नागपुर खंडपीठ ने निचली अदालत के इस निरिक्षण से असहमति जताई.