शराब बंदी जिले में शराब विक्रेताओं पर सजा का प्रमाण अल्प
५ वर्षो में ५८ करोड़ की शराब का कारोबार
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४८ हजार आरोपियों को लिया हिरासत में
वर्धा प्रतिनिधि/दि.५ – वर्धा जिले को वर्ष १९७४ में शराब बंदी जिला घोषित किया गया. लगभग ४६ वर्ष बीतने पर भी शराब बंदी केवल कागजों पर नजर आ रही है. ५ वर्षो में लगभग ४८ हजार से अधिक शराब विक्रेताओं को हिरासत में लिया गया. लेकिन शराब के अपराध में सजा का प्रमाण काफी कम दिखाई दे रहा है.
महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे की सूचना पर वर्धा जिले को शराब बंदी जिला घोषित किया गया.शराब बंदी का पहला प्रयोग था. लेकिन बीते ५ वर्षो मेें ४२ हजार ४०९ मामले पुलिस थाने में दाखिल किए गये. लगभग ४८ हजार ५८० शराब विक्रेताओं को हिरासत में लिया गया. पुलिस ने इस दौरान तकरीबन ५८ करोड़ ९४ लाख की शराब सामग्री जब्त की. लेकिन शराब विक्रेताओं के खिलाफ आरोप सिध्द होने का प्रमाण कम रहने से शराब विके्रताओं के हौसले बढ़ रहे है. वर्धा जिले के बाद गडचिरोली और चंद्रपुर में शराब बंदी घोषित की गई. इन तीन जिले में बड़े पैमाने पर शराब का कारोबार होता है. सरकार केवल शराब बंदी को लेेकर कडी भूमिका निभाने का खोखला आश्वासन देतेहुए नजर आती हैे. शराब विक्रेताओं को पकडऩे के बाद उनके खिलाफ छूटपूट कार्रवाई कर कुछ देर में ही छोड़ दिया जाता है. जिसके बाद शराब विके्रेता फिर से शराब बिक्री करने में जुट जाते है. सबूत के अभाव में शराब विक्रेता सजा से बच जाते है. वर्धा जिले में बड़े पैमाने पर नकली शराब की सरेआम बिक्री हो रही है. शहर में कुछ शराब विक्रेता की ओर से बॉटल रिफलिंग का व्यवसाय भी तेजी से चल रहा है. आधी विदेशी और आधी देशी मिलाकर नकली शराब तैयार की जा रही है. पुलिस को इस बारे में जानकारी होने पर भी कार्रवाई करने में टालमटोल किया जा रहा है. शराबबंदी जिले में शराब बिक्री रोकने में पुलिस विभाग विफल साबित हो रही है.
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फ्लाइंग स्कॉड गायब ?
वर्धा,चंद्रपुर और गडचिरोली जिले के शराब बंदी के लिए पुलिस का एक फ्लाइंग स्कॉड तैनात किया जाना था. जिसमें ४४ अतिरिक्त अधिकारी व कर्मचारियों का समावेश लिया जानेवाला था. महाराष्ट्र प्रिवेशंस ऑफ डेंजरस एक्टविटिज एक्ट अंतर्गत कडी कार्रवाई करने की जानकारी तत्कालीन पालकमंत्री व अर्थमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने दी थी. लेकिन फ्लाइंग स्कॉड का अभी तक कोई भी नामोनिशान नहीं दिखाई दे रहा है.
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केवल २६ शराब विक्रेताओं को ही सजा
शराबबंदी वाले वर्धा जिले में बीते ५ वर्षो में केवल २६ शराब विक्रेताओं को सजा सुनाई जाने की आकडेवारी प्राप्त हुई है. हालाकि रोजाना शराब विक्रेताओ पर कार्रवाई की जाती है. लेकिन ऐन मौके पर गवाह अपने बयान से पलट जाने के बाद शराब विक्रेताओं के खिलाफ सजा का प्रमाण काफी कम है. इसलिए पुलिस विभाग ने अब १० हजार के ऊपर शराब का स्टॉक पाए जाने पर शासकीय टीम की ओर से पंचनामा कर मामला न्यायालय में दाखिल कर सकती है. जिससे सजा का प्रमाण बढऩे का विश्वास पुलिस विभाग ने जताया है.