* पशुपालकों से धोखाधडी पर लगेगा अंकुश
नागपुर/दि.7-किसी भी गाय या बैल को देखकर यह नहीं बताया जा सकता कि यह कितने साल का है या हर मवेशी की जन्मतिथियों का रिकॉर्ड भी नहीं रखा जाता है. लेकिन अब गाय या बैलों की उम्र सेकंड में पता चल सकेगी और यह भी मोबाइल की एक क्लिक पर. महाराष्ट्र पशु व मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (माफसू) के शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध करके दिखाया है. इस शोध के लिए उन्हें भारत सरकार के बौद्धिक संपदा विभाग की ओर से पेटेंट भी मिला है.
माफसू के पशुचिकित्सा महाविद्यालय के शरीर रचना शास्त्र विभाग के शोधकर्ता आनंद सिंह ने विभाग प्रमुख डॉ. नरेश नंदेश्वर के मार्गदर्शन में यह शोध किया है. इसके लिए महाराष्ट्र सहित आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश राज्यों की गो-शाला, तथा पशुपालकों से उम्र के रिकॉर्ड वाले 4 से 5 हजार गाय व बैलों के दांतों की सैंपलिंग की. पशुओं की उम्र के अनुसार इस डाटा पर प्रक्रिया करने के लिए माफसू की ओर से वीएनआईटी के विशेषज्ञों की भी मदद ली गई. यह डाटा गाय-बैलों के दांतों के आधार पर सॉफ्टवेयर में संकलित किया गया है. एक ऐप बनाया गया है. इसमें किसी भी गाय या बैल के दांत का फोटो डाला तो संकलित डाटा के आधार पर उसकी उम्र का आकलन करना संभव हो गया है. अब इस शोध को एआई के माध्यम से व्यापक स्वरूप दिया जा रहा है.
ग्रामीण भाग में आज भी पशुचिकित्सक या पारंपरिक पशुपालक गाय या बैलों के दांत देखकर उनकी उम्र का अनुमान लगाते है. इसलिए उनकी उम्र पता होना जरूरी है. इसके अलावा बैल बाजार में खरीदी-बिक्री में धोखाधड़ी टालने के लिए यह शोध महत्वपूर्ण साबित होगा. इस शोध को अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेस (एआई) तकनीक की भी जोड़ मिलने वाली है, जिससे पशुपालकों की बाजार में होने वाली धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा.
प्रस्ताव विवि प्रशासन को दिया है
आमतौर पर हर व्यक्ति गाय-बैलों को देखकर उम्र नहीं बता सकता. लेकिन पशुओं की उम्र के अनुसार ही उनका आहार और पालन-पोषण संभव है. ग्रामीण भाग में गाय-बैलों की खरीदी- विक्री का बड़ा कारोबार होता है. लेकिन खरीदी गई गाय या बैल की उम्र पता चलने के लिए यह शोध किया गया है. भविष्य में एआई की मदद से इसे व्यापक स्वरूप देने का मानस है. इस संदर्भ में प्रस्ताव विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया गया है.
-डॉ. नरेश नंदेश्वर, विभाग प्रमुख,
शरीर रचना शास्त्र विभाग, पशुचिकित्सा महाविद्यालय, नागपुर.