विदर्भ

अपराधिक जांच में महाराष्ट्र पिछड़ा

३७.६ प्रतिशत अपराध की जांच प्रलंबित

नागपुर प्रतिनिधि/दि.२७ – देश में सबसे अधिक नागरीकरण और पुरोगामी राज्य के रूप में महाराष्ट्र की ख्याति है. राज्य में अपराध दर्ज होने के प्रमाण अधिक है. समाज में जो अच्छे लक्षण होने का माना जाता है. परंतु अपराध दर्ज होने के बाद उसकी जांच भी तत्काल होकर इस मामले का निराकरण महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. अपराध जांच का अभ्यास करने पर जांच महाराष्ट्र पिछड़ा हुआ होने से राष्ट्रीय अपराध पंजीयन विभाग के (एनसीआरबी) रिपोर्ट पर से स्पष्ट होता है. इस दृष्टि से महाराष्ट्र पुलिस ने अपराध की जांच कर निपटारा करने पर लक्ष्य केन्द्रित करने की आवश्यकता निर्माण हुई है.
सिने कलाकार सुशांतसिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद भाजपा ने महाराष्ट्र पुलिस की ओर ध्यान दिया था. इस दौरान महाराष्ट्र पुलिस की जांच योग्य थी. इस पर कालांतर ने सीबीआय ने मुहर लगाई है. इस कालावधि में उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश इस भाजपशासित राज्य के पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस की तुलना होने लगी है.यह तुलना नहीं हो सकती.परंतु महाराष्ट्र पुलिस ने भी पुराने कामगिरी की अपेक्षा वर्तमान में अपनी कामगिरी सुधारने पर जोर देने की आवश्यकता होने का दिखाई देता है. २०१९ इस वर्ष में भादंवि कानून अंतर्गत राज्य में ३ लाख ४१ हजार ८४ अपराध दर्ज किए गये है. इसमें से २ लाख ११ हजार ५३४ अपराध की जांच प्रलंबित है.
देश में सबसे अधिक ३ लाख ५३ हजार १३१ अपराध उत्तर प्रदेश में अपराध का निपटारा जल्द किया गया. विगत वर्ष में उत्तर प्रदेश में केवल ६५ हजार ४४७ अपराध की जांच प्रलंबित होने का एनसीआरबी की आकडेवारी से स्पष्ट होता है.
बिहार में भी भर्ती हुए १ लाख ९७ हजार ९३५ अपराधों में से १ लाख २ हजार ८६१ अपराधों की जांच प्रलंबित होने का दिखाई देता है. दिल्ली में कुल २ लाख९९ हजार ४७५ अपराध दर्ज हुए है. १ लाख १० हजार२८७ अपराध की जांच प्रलंबित है.

Related Articles

Back to top button