विदर्भ

भारत में सबसे ज्यादा 81 फीसदी बाघों की मृत्यु महाराष्ट्र में

बाघों की सुरक्षा को लेकर अब उठने लगे सवाल

नागपुर/प्रतिनिधि दि.२६ – देश में बीते तीन माह में बाघों की कुल मृत्यु में से सर्वाधिक 64 फीसदी मृत्यु मध्य भारत में हुई है. इनमें से 41 फीसदी मृत्यु अकेले महाराष्ट्र में वहीं 23 फीसदी मृत्यु मध्यप्रदेश में हुई है. अधिकांश मृत्यु को लेकर संदेह निर्माण होने से बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे है.
‘क्ला’ संस्था की ओर से प्रति वर्ष संपूर्ण देश में होने वाल बाघों की मृत्यु की आंकडेवारी दी जाती है. इस आंकडेवारी के अनुसार प्रत्येक दो दिन में एक बाघ की मृत्यु हो रही है. इस वर्ष पहले तीन महिने में ही पूरे देशभर में 39 बाघों की मृत्यु हुई है. इनमें महाराष्ट्र की आंकडेवारी दहला देने वाली है. राज्य में नये साल की शुरुआत ही तीन बाघों के मृत्यु से हुई है. उमरेड-पवनी-करांडला जंगल में दो शावकों सहित बाघिन की संदेहास्पद मौत हुई है. राज्य में बाघों की कुल मृत्यु में से 50 फीसदी अधिक मृत्यु शिकारियों व्दारा किये जाने पर उंगलियां उठा रही है. यवतमाल जिले में बाघिन की मृत्यु वायरट्रैप में अटकने से हुई. इसलिए शिकार के लिए उपयोग में लाये जाने वाले जालों को ढुंढने की चुनौती वन विभाग के सामने है. बाघों की शिकार के लिए स्टील ट्रैप का उपयोग करने वाले बहेलिया टोली का राज्य में रहने वाला खतरा कम होने से यह विभाग सुस्त पड गया है, लेकिन ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में बीते वर्ष यह जाल पाया गया था. जिससे अब स्थानीय शिकारियों व्दारा उपयोग में लाया जाने वाला वायर ट्रैप की भी चुनौती बनी हुई है. चंद्रपुर जिले के पलसगांव वन क्षेत्र में कुछ वर्ष पहले स्टील ट्रैप में दो बाघ फंसने के बाद तत्काल ताडोबा-अंधारी व पेंच व्याघ्र प्रकल्प को यह जाल ढुंढकर निकालने के लिए मेटल डिटेक्टर दिया गया था. यह अत्याधुनिक यंत्रणा विभाग के पास होने के बावजूद में गश्ती के दौरान इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. जिसके चलते हालिया कुछ वर्षोंं में बाघों की मृत्यु का ग्राफ बढ गया है.

महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश इन दो राज्यों में बाघों की सुरक्षा के लिए गर्मी के दिनों में बेहतर यंत्रणा की जरुरत है. देश में बाघों की कुल मृत्यु में से 41 फीसदी मृत्यु महाराष्ट्र में हो रही है तो यह चिंता का विषय है. पडोसी राज्य मध्यप्रदेश में यह प्रमाण 23 फीसदी है. राष्ट्रीय स्तर पर मृत्युका प्रमाण 64 फीसदी है. इस आंकडे वारी से मध्यभारत में बाघों की मृत्यु की समस्या गंभीर होने की बाद स्पष्ट होती है.
-सरोश लोधी, संस्थापक सदस्य, क्ला

बाघों की संदेहास्पद मृत्यु के मामले का प्राथमिकता देना बेहद जरुरी है. ताकि निकट भविष्य की घटनाओं को टाला जा सकता है. अधिकारियों की कार्यशालाएं होती है. इसके अलावा आधुनिक यंत्रणाओं का उपयोग करने की कुशलता प्रशिक्षण भी कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए. इन बातों का ध्यान नहीं रखा गया तो बाघों की मृत्यु को रोकना कठीन साबित होगा.
– किशोर रिठे, सदस्य, राज्य वन्यजीव मंडल

  • राज्य में बाघों के मृत्यु का प्रमाण

राज्य                    मृत्यु
महाराष्ट्र            41 प्रतिशत
मध्यप्रदेश        23 प्रतिशत
उत्तराखंड          13 प्रतिशत
बिहार               03 प्रतिशत
केरल                03 प्रतिशत
आसाम             03 प्रतिशत
कर्नाटक            03 प्रतिशत

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