विदर्भ

वरूड के पालिका उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने का पद गया

अविश्वास प्रस्ताव हुआ पारित

  • सत्ता पक्ष में दो फाड हुई उजागर

वरूड/दि.13 – स्थानीय नगर परिषद के नगराध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद भाजपा के 11 नगरसेवकों सहित विपक्षी पार्षदों द्वारा एक माह पूर्व पालिका उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव जिलाधीश के पास पेश किया गया था. जिसके बाद शुक्रवार को पालिका सभागृह में मतदान की प्रक्रिया पूर्ण की गई. जिसमें पालिका उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने के समर्थन में चार और विरोध में 18 नगरसेवकों ने मतदान किया. जिसके चलते 4 विरूध्द 18 वोटों से अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया और मनोज गुल्हाने को अपना पद छोडना पडा. ऐसे में अब पालिका का नया उपाध्यक्ष कौन होगा, इस ओर सभी की निगाहे लगी हुई है. लेकिन इस घटना के चलते सत्ता पक्ष भाजपा में चल रही गुटबाजी और अंतर्कलह उभरकर सामने आ चुकी है.
बता दें कि, वरूड नगर परिषद में भाजपा के 16, कांग्रेस के 4, राकांपा के 2, प्रहार के 1 तथा वरूड विकास आघाडी के 1 ऐसे कुल 24 सदस्य है. गत वर्ष भाजपा के करीब 11 सदस्यों ने 7 विपक्षी नगरसेवकों को साथ में लेकर नगराध्यक्ष स्वाती आंडे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जिलाधीश के पास भेजा था. जिस पर अभी नगरविकास विभाग के पास निर्णय होना प्रलंबित है. इसी दौरान इन पार्षदों ने विगत 3 फरवरी को पालिका उपाध्यक्ष के खिलाफ नगराध्यक्ष व जिलाधीश के पास अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. पश्चात जिलाधीश के आदेश पर 12 मार्च को पालिका सभागृह में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा व मतदान हेतु विशेष सभा का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्याधिकारी रविंद्र पाटील की देखरेख में मतदान कराया गया. इस समय उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने के पक्ष में 4 तथा विरोध में 18 नगरसेवकोें ने हाथ उंचा उठाकर मतदान किया. जिसके चलते उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने को पद से हटना पडा. हालांकि इस बैठक में उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने सहित भाजपा के नगरसेवक योगेश चौधरी अनुपस्थित थे. वहीं इस बैठक में नगराध्यक्ष स्वाती आंडे तथा शेष 22 सदस्य उपस्थित थे. अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद रिक्त हुए उपाध्यक्ष पद पर गट नेता नरेंद्र बेलसरे, देवेंद्र बोडखे तथा छाया धुर्वे में से किसे अवसर मिलता है, इसकी ओर अब सभी का ध्यान लगा हुआ है.
उल्लेखनीय है कि, मनोज गुल्हाने द्वारा इस्तीफा न दिये जाने के चलते भाजपा चौथे साल में किसी अन्य पार्षद को मौका नहीं दे पायी. जिसकी वजह से अविश्वास प्रस्ताव की नौबत आयी. जिसका परिणाम शुक्रवार को सामने आया. वहीं अब वरूड शहरवासियों को नगराध्यक्ष स्वाती आंडे के खिलाफ पेश किये गये अविश्वास प्रस्ताव पर होनेवाले निर्णय की अपेक्षा है.

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