विदर्भ

मनपा चुनाव दिवाली के बाद या लोकसभा के बाद?

प्रचार में जुटे इच्छुक उम्मीदवार के चेहरों पर फिर निराशा

नागपुर/दि.20- बदलती राजनीतिक परिस्थिति में सरकार की तरफ से मनपा चुनाव बाबत निर्णय नहीं लिया जा रहा है. लोकसभा के साथ ही विधानसभा के चुनाव लेकर मनपा चुनाव लेने का नियोजन राज्य सरकार की तरफ से होता रहने से दिवाली के बाद चुनाव होने की अपेक्षा में प्रचार करनेवाले इच्छुक फिर खामोश बैठ गए हैं.
पिछले वर्ष 5 मार्च को मनपा का कार्यकाल समाप्त हो गया. उसके पूर्व मनपा का चुनाव होना अपेक्षित था. लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद तत्कालीन सरकार का निर्णय रद्द करने का निर्णय शिंदे-फडणवीस सरकार ने लिया. इसमें प्रभाग रचना का निर्णय बदले जाने से इसके विरोध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई. साथ ही नई प्रभाग रचना घोषित होने के बाद हाल ही में हुए नगरपालिका चुनाव में प्रभाग रचना बदलकर नए चुनाव लेने की मांग सामने आई. पश्चात राज्य शासन ने चुनाव को दी स्थगिति अभी भी कायम है. राज्य के सत्ता संघर्ष का निर्णय लगने से अक्तूबर अथवा नवंबर माह में मनपा चुनाव होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. लेकिन मतदाताओं की मानसिकता ध्यान में न आने से लोकसभा व विधानसभा के चुनाव के बाद ही मनपा चुनाव होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
वर्ष 2024 में अप्रैल व मई माह में लोकसभा चुनाव होने की संभावना है. पिछले 4 वर्ष में राज्य की राजनीति विविध कारणों से चर्चा में रहने से इसका नकारात्मक परिणाम होने की पूरी संभावना है. इस कारण लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव लिए जाने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है. इन दोनों चुनाव में मतदाताओं की रुझान को ध्यान में रख तत्काल मनपा चुनाव की घोषणा की जाएगी.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार होने से सबक लेते हुए मनपा चुनाव भी आगे करने का नियोजन किया जा रहा है, ऐसा सूत्रों ने कहा. मनपा चुनाव में नागपुर, अमरावती समेत मुंबई व पुणे मनपा चुनाव को सामने रखा दिखाई देता है. चुनाव की प्रतिक्षा में रहने मनपा में प्रशासकराज है. प्रशासन पर सीधे राज्य सरकार का अंकुश है. राज्य सरकार का सीधा हस्तक्षेप रहने से मनपा में सत्ता रहे अथवा न रहे इन्हें कोई फर्क नहीं पडता. इस कारण यह बातें भी चुनाव न होने के लिए कारणीभूत है. फिलहाल चुनाव की कोई संभावना नहीं रहने से इच्छुकों में निराशा दिखाई दे रही है.
* मतदाताओं से संपर्क टूटने का डर
काम के माध्यम से पार्षद लगातार मतदाताओं के संपर्क में रहते हैं. लेकिन पिछले सवा साल में चुनाव न होने से अनेको के मतदाताओं से संपर्क टूट गए हैं. लेकिन वर्षो से मनपा में काम करने वाले पूर्व पार्षदों का अपने निर्वाचन क्षेत्र में संपर्क कायम है. सडक, स्वास्थ्य, जलापूर्ति जैसी मामूली समस्या हल करने के लिए कुछ पूर्व पार्षदों का मनपा में प्रभाव कायम है.

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