विदर्भ

मेलघाट के कई दुर्गम गांव बस सेवा से वंचित

सडक, परिवहन की सुविधाओं का नहीं मिल रहा लाभ

अमरावती/दि.04– मेलघाट वासियों को आज भी कई सुविधाओं से वंचित रहना पड रहा है. मेलघाट वासियों के नसीब में व्याघ्र प्रकल्प सहित कडे वन कानून के कारण कई सुविधाओं का लाभ नहीं. पक्की सडकें, नेट कनेक्टीविटी, बिजली नही रहने से मेलघाट के 110 दुर्गम गांव तक अब तक रापनि की बस सेवा नहीं पहुंची. परिणामस्वरूप यहां के आदिवासियों को वन्यजीवों का खतरा उठाकर तथा समय और पैसा खर्च कर कभी पैदल तो कभी निजी वाहन से 5 से 10 किमी की दूरी तय करके बसस्थानक का सफर करना पडता है. आजादी का प्रकाश अब तक यहां के दुर्गम गांवों तक पहुंचा नही है. यहां पर पक्की सडकें बनाने के लिए वनविभाग की मंजूरी लेना पडताा है. क्योंकि यह क्षेत्र व्याघ्र प्रकल्प में अता है. वन्यजीवों का अधिवास रहने से सडक का निर्माण करने मंजूरी नहीं मिलती. सडकें पक्की नहीं रहने से यहां पर एसटी बस नहीं दौड सकती, ऐसा एसटी विभाग द्वारा किए सर्वेक्षण में सामने आया है. इसलिए इन दुर्गम गांवों में बससेवा शुरु नहीं की गई, ऐसा विभाग नियंत्रक कार्यालय द्वारा बताया गया. परिवहन संसाधन के अभाव में मेलघाट आज भी विकास से कोसो दूर है.

* आवश्यक सुविधा भी नहीं
मेलघाट के मध्य प्रदेश की सीमा के पास बसे हतरु, जारीदा, बैरागड परिसर, चोबिता, राखेवाडा, बोधू, खारी, चुनखडी, कारंजाखेडा, सर्वखेडा, चिलाठी, सिमोरील, रुही पठार, हिरडा, मारिता में मोबाइल नेटवर्क नहीं. तथा रक्षाकुंड, रंगूबेली, खापनार, चौपन्न, ढोकडा, खामदा, किन्नीखेडा, खुटीदा, सिमता, मारीता, सरोवर खेडा, रायपउर, बाराट्या, माखला, मांडीझेडा, नवलगांव व बिच्छूखेडा में बिजली नहीं रहने से हमेशा अंधेरा रहता है.

सडक निर्माण कार्य को मंजूरी नहीं
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में सडकों का निर्माण करने मंजूरी नहीं मिलती. वन कानून काफी कठोर है. इसलिए मेलघाट में सभी इलाकों में सडकों का निर्माण करना संभव नहीं. जिसके कारण दुर्गम गांवों तक आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता.
-दिनेश गायकवाड, कार्यकारी अभियंता,
लोनिवि, जिला परिषद

बस सेवा शुरु करना कठिन
सर्वेक्षण करने के बाद मेलघाट की अंतर्गत सडकें, घुमावदार रास्ते अच्छे नहीं होने की बात निदर्शन में आई. यहां के रास्तों से फोरविलर वाहन नहीं गुजर सकता. इसलिए ऐसे मार्ग से बस सेवा शुरु करना संभव नहीं. कुछ गांव काफी अंदर है, वहां तक बस सेवा पहुंचाना कठिन है.
-पी.एच.कालमेघ, यातायात निरीक्षक,
एसटी अमरावती विभाग

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