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1370 लोग जिंदगी से परेशान – 50 विद्यार्थियों का भी समावेश
नागपुर/प्रतिनिधि दि.१० – परिवार छोटा होेते जा रहा है. परिवार की जरुरतें बढ़ती जा रही है. इस कारण पुरुषों में मानसिक संघर्ष निर्माण हो रहा है. उनमें नैराश्य, चिंता व व्यसनाधीनता का प्रमाण बढ़ रहा है. इस कारण महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक मात्रा में जीवन से तंग आने की बात सामने आयी है. परिवार की जरुरतों का भार, इसमें से निर्माण होने वाला मानसिक संघर्ष, नैराश्य, चिंता सबसे अधिक युवा पीढ़ी में देखी जा रही है. परिणामस्वरुप आत्महत्या करने का विचार बढ़ता है. गत चार वर्षों में 11 से 20 आयु गट में 80, 21 से 30 आयु गट में 366, 31 से 40 आयु गुट में 406 ऐसे कुल 852 युवा आत्महत्या की कगार पर थे.
अप्रैल 2017 से 31 अप्रैल 2021 कालावधि में 54 प्रतिशत यानि 746 पुरुषों ने आत्महत्या की थी. पारिवारिक कलह, तनाव, विरह, असफलता, अवहेलना, व्यसन, न्यूनगंड, गरीबी हो या सिर पर कर्ज का बोझ इस कारण आये नैराश्य से होने वाली आत्महत्या को रोकने के लिए प्रादेशिक मनो रुग्णालय ने 2010 से जनजागृति की. तत्कालीन वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. अभय गजभिये ने प्रायोगिक स्तर पर आत्महत्या प्रतिबंधक कार्यक्रम शुरु किया. इसमें मिली जानकारी के अनुसार गत चार वर्षों में 1, 370 लोगों ने आत्महत्या का प्रयास या विचार किया. इसमें सर्वाधिक 746 पुरुष व 624 महिलाओं का समावेश है.
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45 प्रतिशत महिलाओं में आत्महत्या का विचार
एक महिला को दिनभर में मां, पत्नी, बहन, बहू ऐसे अनेक स्वरुप में भूमिका निभानी पड़ती है. इस कारण तनाव आता है. दूसरी बात यह है कि महिलाओं में हार्मोन बदलते हैं. बावजूद इसके अनेक कारण है. इसलिए आत्महत्या का प्रमाण बढ़ रहा है. मानसिक रुग्णालय की आंकड़ेवारी से 45 प्रतिशत महिलाओं ने आत्महत्या का प्रयास या उनके मन में विचार आया था. इनमें 40 से कम आयु उम्र की महिलाओं की संख्या 488 है.
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11 से 30 आयु के विद्यार्थियों की संख्या अधिक
बच्चों में सहनशीलता कम होने से आत्महत्या का प्रयास या विचार करने का आलेख बढ़ रहा है. इसमें 11 से 30 आयु के विद्यार्थियों की संख्या अधिक है. गत चार वर्षों में 11 से 20 आयु गट में 36 तो 21 से 30 आयु वालों में 14 ऐसे कुल 50 विद्यार्थियों ने मन में आत्महत्या का विचार किया था.
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डायल करें 104 क्रमांक
दौड़धूप भरी जीवनशैली के कारण अनेक लोग मानसिक बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इसमें नैराश्य व आत्महत्या का विचार करने वालों की संख्या बढ़ रही है. ऐसों के लिए 104 यह हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध है. यहां के स्वास्थ्य अधिकारियों से बातचीत कर मदद मांगी जा सकेगी. बावजूद इसके प्रादेशिक मानसिक रुग्णालय की ओर से सभी जिले के रुग्णालयों में शुरु की गई प्रेरणा प्रकल्प से भी मदद ली जा सकती है.
-डॉ. पुरुषोत्तम मडावी,वैद्यकीय अधीक्षक, प्रादेशिक मानसिक रुग्णालय