विदर्भ

दुध उत्पादन को अब भ्रुण प्रत्यारोपन की मदद

  • विदर्भ में कृत्रिम रेतन का प्रयोग हुआ सफल

  • गीर गाय का उपयोग

नागपुर प्रतिनिधि/दि.३० – एक गाय केवल ८ से १० बछडों को जन्म दे सकती है. लेकिन अब उच्च किस्म की गीर गाय के गर्भाशय में कृत्रिम रेतन द्बारा भ्रुण तैयार कर वे कम दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले गाय के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करना संभव हुआ है.
विदर्भ में यह प्रयोग सफल होने से उच्च दुग्ध क्षमता वाले गाय से उत्पादन संभव होगा. जिससे आगामी दौर में दुध उत्पादन बढने में भी मदद होगी. महाराष्ट्र पशु व मत्स्य विज्ञान विद्यापीठ की ओर से भ्रुण प्रत्यारोपण किये गये ७ गायों में से २ गाय ने २ बछडों को प्राकृतिक रुप से जन्म दिया. इस सफलतम प्रयोग से अब उच्च किस्म की एक गीर गाय की सालाना ५० भ्रुण तैयार किये जाने का भरोसा पशु प्रजनन शास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. सुनिल सहातपुरे ने व्यक्त किया. राष्ट्रीय गोकुल प्रकल्प भारत सरकार के आर्थिक सहायता से माफूस में भु्रण प्रत्यारोपण तकनिकी प्रयोगशाला स्थापित की गई है. उच्च किस्म के देशी गोवंश का संवर्धन भ्रुण प्रत्यारोपण तकनिक साह्य से करने का प्रमुख उद्देश्य से प्रयोगशाला को दिया गया है. कुलगुरु डॉ. पातुरकर के मार्गदर्शन में संशोधक डॉ. एस.के. सहातपुरे, डॉ. मनोज पाटील, डॉ. डी.एस. रघुवंशी इस प्रयोग के लिए परिश्रम लिया है.

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