विदर्भ

विधायक मिर्जा ने ही दी थी जांच की धमकी!

रिश्वत कांड में शिकायतकर्ता अधिकारी ने किया दावा

नागपुर/दि.1 – विधान परिषद सदस्य वजाहत मिर्जा के नाम पर 1 करोड रुपए की रिश्वत मामले के साथ ही 25 लाख रुपए की रिश्वत स्वीकारने के चलते नागपुर एसीबी के दल ने दिलीप खोडे नामक व्यक्ति को रंगेहाथ गिरफ्तार किया है. साथ ही उसके शेखर भोयर नामक सहयोगी की तलाश की जा रही है. इस पूरे मामले के सामने आते ही विधायक वजाहत मिर्जा ने इससे अपना पल्ला झाडते हुए कहा था कि, इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है और वे दिलीप खोडे व शेखर भोयर को जानते भी नहीं है. लेकिन वहीं अब इस मामले में शिकायतकर्ता रहने वाले अधिकारी ने यह आरोप लगाया है कि, एसीबी द्बारा कार्रवाई किए जाने से कुछ घंटे पहले ही रवि भवन में उसकी विधायक वजाहत मिर्जा से प्रत्यक्ष बातचीत हुई थी और विधायक मिर्जा ने ही उसे जांच व कार्रवाई का डर दिखाया था. ऐसे में अब यह मामला विधायक वजाहत मिर्जा पर उलटता दिखाई दे रहा है. साथ इस बात के लिए संभावना बनती दिखाई दे रही है कि, एसीबी द्बारा विधायक मिर्जा को भी अपनी जांच के दायरे में लिया जाएगा.
बता दें कि, नागपुर आरटीओ से संबंधित एक अधिकारी के खिलाफ उसके ही विभाग की महिला अधिकारी ने लैंगिक प्रताडना को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. ऐसे में यह मामला विधान परिषद में भी उपस्थित किया जाएगा, ऐसा डर दिखाने के साथ ही विधायक वजाहत मिर्जा का नाम लेते हुए फिलहाल मंत्रालय में प्रति नियुक्ति पर पदस्थ रहने वाले एमआईडीसी के तृतीय श्रेणी कर्मचारी दिलीप वामनराव खोडे (50, हिरानंदानी मिडोज, ठाणे पश्चिम) तथा उसके साथीदार शेखर भोयर (अमरावती) ने उस अधिकारी से 1 करोड रुपए की रिश्वत मांगी. जिसके बाद यह मामला 25 लाख रुपए में तय हुआ और 28 मार्च को रवि भवन में 25 लाख रुपए की रिश्वत स्वीकार करते हुए दिलीप खोडे को रंगेहाथ पकडा गया. जिसके बाद विधायक वजाहत मिर्जा ने इस मामले से अपना कोई संबंध नहीं रहने का दावा किया. वहीं अब शिकायतकर्ता अधिकारी ने एसीबी को बताया कि, 28 मार्च को उसकी विधायक वजाहत मिर्जा से रवि भवन के कमरा क्रमांक 45 में भेंट हुई थी. जहां पर उसे दिलीप खोडे व शेखर भोयर ने बुलाया था. इस कमरे में हुई मुलाकात के दौरान विधायक मिर्जा ने उस अधिकारी के संदर्भ में मिली शिकायत का मामला बताते हुए कहा कि, इस मामले को विधान परिषद में उठाया जा सकता है. ऐसे में क्या करना है, अभी तय कर लो. अगर इस मामले में पहले ही बातचीत हुई होती, तो इस मामले में जांच शुरु होने की नौबत ही नहीं आती. अभी भी कुछ नहीं बिगडा है. पूरा मामला सेट कर दिया जाएगा. ऐसा भी विधायक वजाहत मिर्जा द्बारा इस मुलाकात के दौरान कहा गया. ऐसा दावा शिकायतकर्ता ने एसीबी के समक्ष किया है. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, एसीबी द्बारा रवि भवन के सीसीटीवी कैमरों के फूटेज व इन-आउट रजिस्टर सहित वाइस रिकॉर्डर की जांच कब की जाएगी.
* खोडे ने ही किया था संपर्क, पहले मुंबई आने कहा था
पता चला है कि, इस मामले में दिलीप खोडे ने ही उक्त आरटीओ अधिकारी से संपर्क किया था. चूंकि उक्त अधिकारी दिलीप खोडे को जानता ही नहीं था. ऐसे में उसने दिलीप खोडे से मिलने में टालमटोल करनी शुरु की. लेकिन खोडे उसे बार-बार फोन कर रहा था. साथ ही आरटीओ के 2 पूर्व अधिकारियों के जरिए खोडे ने शिकायतकर्ता अधिकारी पर अपने साथ संपर्क करने हेतु दबाव डाला.
इससे पहले 25 मार्च को खोडे ने शिकायतकर्ता अधिकारी को मुंबई आने हेतु कहा था. लेकिन अधिकारी ने मुंबई जाने से मना कर दिया. जिसके बाद नागपुर में ही मुलाकात करते हुए मामले को सेटल करने की बात तय हुई. जिसके चलते नागपुर में ही एसीबी द्बारा रेड की कार्रवाई की गई.
* मंत्रालय के ट्रान्सफर रैकेट से दिलीप खोडे का सीधा कनेक्शन
– 15 वर्ष से तबादले व वसूली के काम में था सक्रिय
खुद को मंत्रालय में ओएसडी के तौर पर कार्यरत बताते हुए कांग्रेस विधायक वजाहत मिर्जा के नाम पर 25 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकडा गया दिलीप खोडे विगत 15 वर्षों से मंत्रालय में सक्रिय था और मंत्रालय के संपर्कों का प्रयोग करते हुए ट्रान्सफर रैकेट चलाया करता था. जिसके तहत तबादले एवं वसूली के काम किए जाते थे.
25 लाख रुपए की रिश्वत स्वीकारने के मामले में रंगेहाथ पकडा गया दिलीप खोडे वर्ष 2008 में अमरावती एमआईडीसी में तकनीशियन के पद पर नियुक्त हुआ था. पश्चात कुछ दिन यवतमाल में बिताने के बाद उसे मंत्रालय में नियुक्ति मिली और वर्ष 2009 में वह पहली बार तत्कालीन गृहमंत्री का ओएसडी नियुक्त हुआ. जबकि उसे इस काम का कोई अनुभव नहीं था. बावजूद इसके उसे वर्ष 2010 में स्वीय सहायक के तौर पर नियुक्त किया गया. ऐसे में दिलीप खोडे वर्ष 2009 से लेकर अब तक कई मंत्रियों, नेताओं व अधिकारियों सहित उनके नजदीकी लोगों से जुडता चला गया और इन सभी लोगों के जरिए वह प्रतिवर्ष अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले करवाते हुए उन्हें उनकी मनपसंद नियुक्ति दिलाया करता था और इन तबादलों के जरिए प्रतिवर्ष करोडों रुपए का आर्थिक लेन-देन हुआ करता था.
जानकारी है कि, खोडे और उसके सहयोगी शेखर भोयर सहित कुल 8 से 10 लोगों की टीम इस काम के लिए कार्यरत है. जो ग्राहक पटाने से लेकर पैसों का व्यवहार करने का काम करते है. ऐसे में अब एसीबी द्बारा इस पूरे मामले की सघन जांच की जा रही है. ताकि खोडे-भोयर कंपनी की कारगुजारियों को पूरी तरह से उजागर किया जा सके.
* मंत्रालय व सरकार के साथ भी की जालसाजी
– कई अधिकारियों को भेजा फेक ई-मेल
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक इससे पहले वाली सरकार के दौरान जब अदिती तटकरे उद्योग, खनिकर्म, पर्यटन, फलोत्पादन, राजशिष्टाचार, क्रीडा व युवक कल्याण तथा सूचना व जनसंपर्क राज्यमंत्री थी, तब दिलीप खोडे उद्योग मंत्रालय में उनके ओएसडी के तौर पर कार्यरत था. लेकिन सरकार बदलने के बाद खोडे द्बारा किए जाने वाले ‘उद्योग’ ध्यान में आते ही उसे जुलाई 2022 में उद्योग मंत्रालय से कार्यमुक्त कर दिया गया था. जिसके पश्चात खोडे एक तरह से भूमिगत हो गया था. परंतु 3 माह बाद उद्योग विभाग के नागपुर व अमरावती में पदस्थ एक ई-मेल मिला, जिसमें खोडे को अक्तूबर 2022 से उद्योग मंत्रालय में संलग्न किए जाने की बात कहीं गई थी. इसके पश्चात खोडे एक बार फिर नये सिरे से सक्रिय हुआ और विविध विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क करते हुए ट्रान्सफर व प्रमोशन का मामला सुलझाने तथा निलंबन व अन्य दिक्कतों को निपटाने के लिए ऑफर देने लगा. इस दौरान खोडे के अपने विभाग के वरिष्ठाधिकारियों के साथ नजदीकी संबंध रहने की बात ध्यान में आने पर कई अधिकारी भी उससे अपना काम करवाने हेतु संपर्क करते थे. जिसके चलते अपने कथित मंत्रालय से खोडे ने कई बडे-बडे गेम बजाए है, ऐसी चर्चा भी चल रही है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि, खोडे ने पकडे जाते ही खुद को उद्योग मंत्रालय में कार्यरत बताया. जिसके चलते मुंबई में तेजी से जांच पडताल शुरु हुई. जिसमेें पता चला कि, खोडे का जुलाई 2022 से उद्योग मंत्रालय के साथ कोई संबंध ही नहीं है. ऐसे में निर्देश जारी किए गए कि, उद्योग मंत्रालय से कोई वास्ता नहीं रहने के बावजूद खोडे खुद को उद्योग मंत्रालय से संबंधित बताकर सरकार और मंत्रालय का नाम खराब कर रहा है. अत: उसके खिलाफ जांच व कार्रवाई की जाए. जिसके पश्चात नागपुर के एक अधिकारी ने अमरावती के राजापेठ पुलिस थाने में दिलीप खोडे के फेक ई-मेल आईडी को लेकर शिकायत दर्ज कराई है. जिसके चलते अब खोडे के साथ-साथ अन्य कई लोगों की भी दिक्कतें बढने की संभावनाएं जताई जा रही है.

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