
नागपुर/दि.3– विदर्भ के 100 सिंचाई प्रकल्प अधूरे पडे है. जिनके पूर्ण होने में अब भी कई वर्षों का समय लगेगा, ऐसी जानकारी सूचना अधिकार के जरिए सामने आई है.
पता चला है कि, अधूरे रहनेवाले प्रकल्पों में विदर्भ के 13 बडे सिंचाई प्रकल्पों का समावेश है. जिसमें से 3 प्रकल्प सन 2027 तक तथा 5 प्रकल्प सन 2029-30 तक पूर्ण होने की उम्मीद है. इसमें अमरावती व अकोला जिले को पानी दे सकनेवाले निम्न पेढी प्रकल्प सहित बेंबला (यवतमाल), उर्ध्व वर्धा (अमरावती-वर्धा), निम्म वर्धा, गोसीखुर्द, किनटाकली, निम्न पैनगंगा (यवतमाल), जीगांव (बुलढाणा), अजनसरा बैरेज (वर्धा) व धापेवाडा उपसा सिंचन प्रकल्प का समावेश है. इसमें से निम्न वर्धा व गोसीखुर्द प्रकल्प का काम फिलहाल जारी है. जिसके जून 2027 तक पूरा होने की अपेक्षा है. इसके अलावा चंद्रपुर जिले में हुमन नदी प्रकल्प व गढचिरोली जिले में तुलतुली प्रकल्प को तत्वत: मान्यता मिली है. परंतु राज्य वन्यजीव मंडल की मान्यता नहीं रहने के चलते इन दोनों प्रकल्पों का काम बंद है.
राज्य सरकार ने नलगंगा नदी जोड प्रकल्प हेतु 1232 करोड रुपयों को प्रशासकीय मान्यता दी है. साथ ही 3 लाख 71 हजार हेक्टेअर क्षेत्र की सिंचाई क्षमता रहनेवाले इस प्रकल्प के लिए 87 हजार 342 करोड रुपए के खर्च को तत्वत: मंजूरी दी गई है. इस प्रकल्प के चलते अमरावती, अकोला, यवतमाल, बुलढाणा, नागपुर व वर्धा जिलो को लाभ होगा.
* प्रकल्प को पूरा करने में लेटलतिफी
विदर्भ के सिंचाई क्षेत्र हेतु अपर्याप्त निधि व उपयोग को लेकर लोकनायक बापूजी अणे स्मारक समिति द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई चल रही है. प्रकल्पों के काम में होनेवाली लेटलतिफी के चलते इस क्षेत्र की केवल 40 फीसद जमीन पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, ऐसा इस याचिका में कहा गया है.