विदर्भ

शहर के गड्ढे बुझाने भाजयुमो का आंदोलन

कुंभकर्णी नींद में सोयी पालिका को जगाने

प्रतिनिधी/दि.१५
परतवाड़ा/अचलपुर – नगर पालिका के पदाधिकारियों और अधिकारियों में नागरिको को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर कोई एक मत नही है. लोगबाग शिकायत करते है तो करते रहे …काम वो ही करना है जिसके वाजिब दाम भी मिले. चुनाव जीतने तक एक समाजसेवक होने का स्वांग अच्छा भी लगता है. बाद में पूरा कार्यकाल चुनाव का खर्च वसूल करने में ही बिताना पड़ता है. पालिका के अध्यक्ष और सत्ताधारी पक्ष के सभी सिपहसालारों के ‘ कुछ ना करने ‘ के रवैये से अब आवाम का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. परतवाड़ा -अचलपुर का ऐसा कोई मोहल्ला नही और ना ही शहर का ऐसा कोई कोना होंगा जो भयानक गढ्ढो से कराह नही रहा होंगा. मुख्याधिकारी राजेन्द्र फातले अपने दाएं-बाएं कुंज और रोही के साथ पान को चुना लगाने में मस्त है और पदाधिकारी उन संभावनाओं को टटोल रहे जिसमे सीधे 40 के 100 ही बनाये जा सके. सो, शहर को अपने कुचक्र में फांस चुके गढ्ढो से निजात दिलाने कोई तुकाराम मुंढे यहां तो दिखाई ही नही देता.
भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने शहर की सड़कों को छलनी कर चुके गढ्ढो के लिए कुंभकर्णी नींद में पड़े पालिका पदाधिकारियों और अधिकारियों को जगाने एक अनूठा आंदोलन किया. इसके तहत सड़क के गढ्ढो को बुझाने का सांकेतिक रचनात्मक कार्य ये कार्यकर्ता दिनभर करते रहे. अपेक्षा थी कि यदि थोड़ी बहोत भी बाकी है …तो पालिका के कर्णधार कम से कम झूठमूठ ही जागें होने की नोटंकी तो जरूर करेंगे.
भाजयुमो के पूर्व अध्यक्ष, सचिव और उनके असंख्य साथियो  ने इस गड्ढा बुझाओ अभियान में हिस्सा लिया. जब ये आंदोलन च रहा था तब पहली नजर में तो लोग यह ही समझ बैठे कि पालिका प्रशासन को शायद तरस आ गया सो, गड्ढे बुझाने मजदूर भेजे है लेकिन जब गौर से मजदूरों को देखा , उनके पहरावे पर नजर दौड़ी तब मालूम पड़ा कि ये तो शहर का भविष्य, भाजयुमो की मंडली है. लोगो ने इस अभिनव आंदोलन को बहोत सराहा. कम से कम कोई तो है जो पालिका पदाधिकारियों के कान ऐंठ कर उन्हें कुछ मूलभूत कार्य करने को चेता रहा है.
स्वत्रंता की 74 वी वर्षगांठ की पूर्व संध्या शुक्रवार को किये इस आंदोलन ने जुड़वाशहर में खूब वाहवाही बटोरी. परतवाड़ा शहर की सड़कों की दयनीय अवस्था से नागरिक त्रस्त हो चुके है. करोड़ो रूपये बतौर टैक्स जमा करने के बाद भी इथोपिया जैसा अकालग्रस्त जीवन जीने को अभिशप्त है नागरिक.
इस प्रतीकात्मक आंदोलन में प्रफुल्ल कुरहेकर पूर्व महासचिव, नीलेश पवार पूर्व जिलाध्यक्ष क्रीड़ा आघाडी, मुकेश चंदेल पूर्व सचिव भाजयुमो, अक्षय  पाठक पूर्व अध्यक्ष भाजयुमो, सनी यादव पूर्व सचिव भाजयुमो, गिरीश भोयार पूर्व प्रसिद्धि प्रमुख, साजन जाम्भूर्ने पूर्व सचिव भाजयुमो आदि ने प्रमुखता से सहभाग लिया.

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