6 हत्याकांडों में शामिल कुख्यात आरोपी मुन्ना गिले को उम्रकैद
नागपुर जिला व सत्र न्यायालय ने सुनाया फैसला
चंद्रशेखर यादव हत्याकांड में दोषी करार
नागपुर/दि.17 – 6 अलग-अलग हत्याकांडों के आरोपियों में शामिल रहने वाले कुख्यात अपराधि मुन्ना उर्फ दीपक बालकदास गिले (36) को गत रोज नागपुर की जिला व सत्र न्यायालय में कोतवाली थाने में दर्ज चंद्रशेखर यादव हत्याकांड में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा एवं 10 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया. जुर्माना अदा नहीं करने पर मुन्ना गिले को 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. यह फैसला जिला व सत्र न्यायाधीश एम. वी. देशपांडे ने सुनाया. इस मामले में दूसरे आरोपी महेश बलिराम मांडले को जमानत मिली थी. जो अदालत में मुकदमा शुरु होने के बाद फरार हो गया था. ऐसे में फिलहाल केवल मुन्ना गिले के खिलाफ मुकदमा चलाया गया. वहीं पुलिस द्बारा महेश मांडले की तलाश की जा रही है. जिसके पकड में आने के बाद उसके खिलाफ स्वतंत्र तौर पर मुकदमा चलाया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक मुन्ना गिले गंगाबाई घाट के पास स्वीपर कालोनी का निवासी है. वहीं चंद्रशेखर यादव (35) बेसा के मंगलदीप नगर में रहता था, जो रेल्वे स्टेशन के पास एक रेस्टारेंट में साफ-सफाई का काम करता था. साथ ही करीब 15 वर्ष पहले वह महल के नाईक रोड परिसर में रहा करता था. जहां पर उसके कई मित्र थे. ऐेसे में वह अपने मित्रों से मिलने के लिए हमेशा ही महल परिसर में जाया करता था. इसी इलाके में मुन्ना गिले व महेश मंडले का भी आना-जाना था तथा इन दोनो से भी चंद्रशेखर यादव की जान पहचान की. 1 जून 2018 को रात 10 बजे के आसपास नाइक रोड पर मुन्ना गिले व महेश मंडले की चंद्रशेखर यादव से मुलाकात हुई और इन दोनों ने यादव से शराब पीने के लिए पैसे मांगे. परंतु यादव ने अपने पास पैसे नहीं रहने की बात कहते हुए शराब पिलाने से इंकार कर दिया. जिससे चिडकर इन दोनों ने उसे आगे कभी भी नाइक रोड परिसर में दिखाई नहीं देने की धमकी दी. इसके बाद चंद्रशेखर यादव नंदजी नगर स्थित साईधाम समाज भवन परिसर में अपने दोस्तों से मिलने गया. जहां पर रात 11.30 बजे के आसपास दोनो आरोपी भी पहुंची और यादव को देखते ही उससे झगडा करने लगे. इस समय मंडले ने यादव को पकड लिया तथा मुन्ना गिले ने उसके पेट व छाती सहित उसके शरीर के अन्य हिस्सों पर चाकू से सपासप वार किए. जिससे यादव बुरी तरह घायल होकर जमीन पर गिर पडा. इस समय आसपास मौजूद लोगों ने यादव को तुरंत इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां पर करीब 20 दिन के बाद यादव की मौत हो गई.
मृत्यु पूर्व बयान रहा महत्वपूर्ण
उस समय इस मामले की जांच पुलिस निरीक्षक पी. आर. फुलझेले ने की. जिन्होंने यादव का मृत्यु पूर्व जवाब दर्ज किया था. इस जवाब के आधार पर ही मुन्ना गिले को दोषी करार देने में महत्वपूर्ण सहायता मिली. इसके अलावा सरकारी वकील एड. वर्षा सायखेडकर ने आरोपी के खिलाफ 12 गवाह पेश किए. जिनकी गवाही की बदौलत ही आरोपी मुन्ना गिले को अदालत द्बारा दोषी करार दिया गया.