नागपुर का विमानतल ‘जीएमआर’ के पास जाएगा!
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र, राज्य, मिहान की अपील करी खारीज
नागपुर/ दि.13– उपराजधानी की शान रहने वाले डॉ.बाबासाहब आंबेडकर आंतरराष्ट्रीय विमानतल के विकास की प्रक्रिया पूरी करने का मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ के आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने कायम रखे और इस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार, राज्य सरकार, भारतीय विमानतल प्राधिकरण व मिहान इंडिया ने दायर की अपील गुणवत्ताहीन मानते हुए खारीज कर दी. न्यायमूर्तिव्दय विनित सरण व जे.के.माहेश्वरी ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.
विमानतल विकास ठेके की पूरी प्रक्रिया रद्द कर दी गई. इसके बाद जीएमआर एअरपोर्ट व जीएमआर नागपुर इंटरनेैशनल एअर पोर्ट नागपुर इस कंपनी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. 18 अगस्त 2021 को उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिव्दय सुनील शुक्रे व अनिल किलोर ने वह याचिका मंजूर कर ठेके की प्रक्रिया रद्द करने का विवादग्रस्त निर्णय अवैध साबित हुआ. इसी तरह इस ठेकेदार पर छह हफ्ते में कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करे, ऐसा आदेश दिया. इसपर अपीलकर्ता का आक्षेप था.
मिहान इंडिया कंपनी विमानतल का पीपीपी अंतर्गत डिजाईन, बिल्ड फायनान्स, ऑपरेट एण्ड ट्रान्सफर इस आधार पर विकास करने के लिए 2016 में निविदा आमंत्रित की थी. इसके अनुसार करीब 13 कंपनियों ने भाग लिया था. जिसमें से जीएनआर कंपनी समेत अन्य चार कंपनियों का तकनीकी बोली के लिए चयन किया गया था. इसके बाद अन्य अधिक बोली पेश करने वाले जीएमआर कंपनी को ठेका देने का तय किया गया. इस वजह से जीएमआर ने मिहान इंडिया की अनुमति के बाद जीएमआर नागपुर इंटरनेशनल एअरपोर्ट यह विशेष कंपनी स्थापित की. इसी तरह काम शुरु करने के लिए मिहान इंडिया के साथ बार-बार पत्र व्यवहार किया परंतु लाभ के हिस्से को लेकर समाधानकारक समझौता न होने के कारण 19 मार्च 2020 को मिहान इंडिया ने पूरा ठेका प्रक्रिया रद्द करने का निर्णय लिया था. जीएमआर कंपनी ने शुरुआत में मिहान इंडिया को कुल लाभ का 5.76 प्रतिशत हिस्सा देने का वादा प्रस्तुत किया था. यह बोली अन्य कंपियों की तुलना में अधिक थी. इसी तरह कुछ बैठक के बाद जीएमआर ने हिस्सा बढाकर 14.49 किया था. परंतु मिहान इंडिया ने सुधारित बोली भी अमान्य कर दी.