नागपूर/दि.05- राज्य सरकार पर पिछले कई वर्षों से शिक्षा, वेतन, सुरक्षा व्यवस्था और आवास की तीन प्रमुख समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए स्थानीय डॉक्टरों का ‘मार्ड’ संघ एक बार फिर हड़ताल पर जा रहा है. इससे सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में मरीजों की देखभाल बाधित होने की आशंका है.
साल में कम से कम दो बार सरकार और स्थानीय डॉक्टरों के बीच टकराव होता है. हड़ताल दो या तीन दिनों तक चलती है; लेकिन आश्वासन का इंजेक्शन देने के बाद अस्थायी हड़ताल वापस ले ली गई है. ऐसा पिछले कई वर्षों से देखने को मिल रहा है. न तो सरकार स्थायी समाधान निकालने को तैयार है और न ही स्थानीय डॉक्टर पीछे हटने को तैयार हैं. मार्ड’ संघ ने सरकार को बुधवार तक का अल्टीमेटम दिया है. अगर सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है, तो राज्य में सेंट्रल एमएआरडी के चार हजार से अधिक डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, उन्होंने चेतावनी दी है कि ट्रॉमा, दुर्घटना विभाग, आईसीयू और आपातकालीन सर्जरी को छोड़कर सभी सेवाओं का बहिष्कार किया जाएगा, ऐसा मेडिकल मार्ड संघ के अध्यक्ष शुभम महल्ले ने कहा.
महाविद्यालयों में छात्रावासों की भारी कमी की ओर भी इशारा किया, जिससे निवासियों को गंभीर रूप से समझौतावादी परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा, “भीड़भाड़ आम बात है जिससे रहने की स्थिति दयनीय हो जाती है. अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में वरिष्ठ निवासियों के लिए कोई छात्रावास आवास नहीं है. मार्ड संघ पिछले जनवरी में इन्हीं कारणों से हड़ताल पर चले गए थे और राज्य द्वारा सुधारात्मक कदम उठाने का वादा करने के बाद हड़ताल वापस ले ली थी. स्थानीय डॉक्टर केंद्रीय संस्थानों के साथ स्टाइपेंड में समानता की भी मांग कर रहे हैं. राज्य के 25 मेडिकल कॉलेजों में 4000 से अधिक स्थानीय डॉक्टर हैं.