विदर्भ

नागपुर उच्च न्यायालय का फैसला

प्रो.शोभा सेन को १० लाख रुपए देने के दिए आदेश

नागपुर प्रतिनिधि/दि.२९ – भीमाकोरेगांव दंगे के मामले में गिरफ्तार नागपुर विद्यापीठ इंग्लिश विभाग प्रमुख डॉ. शोमा सेन को बकाया ग्रेज्यूटी के राज्य सरकार व विद्यापीठ द्वारा ५-५ लाख रुपए दिए जाए. ऐसे आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा दिए गए. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता इन्होंने विद्यापीठ के कार्यो पर नाराजी व्यक्त करते हुए नियम बाह्य सेवा निवृत्ति का लाभ रोकने का आरोप लगाया है. भीमाकोरेगांव दंगों में प्रो. शोमा सेन को पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया था. जिसमें विद्यापीठ ने उन्हें निलंबित कर दिया था. उसके पश्चात प्रो. सेन नागपुर विद्यापीठ से २०१८ में सेवानिवृत्त हुई थी.
प्रो. सेन के खिलाफ दायर प्रकरण का मामला प्रलंबित होने से विद्यापीठ में प्रो. सेन को सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं दिया था केवल उन्हें पेंशन दी जा रही थी. जिसमें प्रो. सेन ने उच्च न्यायायल में याचिका दायर की थी. शुक्रवार को मुख्य न्यायमूर्ति दिपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति रवि देशपांडे की संयुक्त खंडपीठ के सामने सुनवाई की गई. प्रो. सेन के खिलाफ देशद्रोह का अपराध दाखिल किया गया था जो सिद्ध हो नहीं सका. विद्यापीठ ने कौन से कानून के तहत सेवानिवृत्ति का लाभ रोका इस पर भी न्यायमूर्ति ने सवाल खडे किए. लेकिन विद्यापीठ की ओर से पैरवी कर रहे एड. अरुण अग्रवाल ने सुप्रीमकोर्ट का निर्णय दाखिल किया तथा ग्रेज्यूटी व पेंशन कायदे में तरदूत दिखायी. किंतु पैरवी में मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा किए गए सवालों का विद्यापीठ द्वारा समाधानकारक जवाब नहीं दिया गया.
प्रो. सेन के खिलाफ मामले का कामकाज अभी शुरु नहीं हुआ था. विद्यापीठ ने उनके खिलाफ विभागीय जांच भी नहीं की किसी भी जांच का निष्कर्ष निकाले बगैर उनकी गे्रज्यूटी रोक दी गई. गे्रज्यूटी रोकी नहीं जा सकती इसके पहले न्यायमूर्ति रवि देशपांडे ने ५ लाख रुपए प्रो. सेन को देने के आदेश विद्यापीठ को दिए थे.किंतु विद्यापीठ ने आदेश को दुरुस्त करने का आवेदन किया था. उसके अनुसार प्रो. सेन के खिलाफ मामला प्रलंबित होने की वजह से निधि हाईकोर्ट के रजिस्टार के पास जमा करने की अनुमति मांगी है. मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने विद्यापीठ के आवेदन को खारिज कर दिया और ७ दिन के भीतर ५ लाख रुपए देने के आदेश दिए. साथ ही राज्य सरकार को भी ५ लाख रुपए देने के आदेश दिए गए.

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