नागपुर ने गत दो वर्षों में दो कंद्रीय संस्थाओं को खोया
एनआयएमएच अहमदाबाद में तो सीबीडब्ल्युई दिल्ली में
नागपुर-दि.31 22 हजार करोड़ रुपए का टाटा एअरबस प्रकल्प वडोदरा में जाने से नागपुर के नागरिकों में काफी नाराजी है. लेकिन सिर्फ उद्योग ही नहीं, बल्कि नागगपुर शहर ने विगत तीन वर्षों में केंद्र की दो महत्वपूर्ण संस्थाओं को भी खो दिया है. राष्ट्रीय खनिक स्वास्थ्य संस्थान (एनआयएमएच) को गुजरात के अहमदाबाद में स्थलांतरित किया गया. वहीं केंद्रीय कामगार शिक्षण मंडल (श्रमिक शिक्षा बोर्ड) को नागपुर से दिल्ली में स्थापित किया गया. विशेष यह है कि किसी भी पार्टी के नेताओं ने इन दोनों संस्थाओं को बाहर जाने से रोकने का प्रयास नहीं किया.
एनआयएमएच को बंद होने से बचाने के लिये संघर्ष करने वाली अंजली सालवे-विटणकर ने कहा कि जुलाई 2019 में एनआयएमएच को बंद कर वे राष्ट्रीय व्यवसायिक स्वास्थ्य संस्था को (एनआयओएच) अहमदाबाद में विलीन किया गया. उस समय स्थानीय नेताओं की भेंट की. लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की. चंद्रपुर के सांसद बालू धानोरकर ने यह मुद्दा संसद में उठाया था. लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी बातों की ओर दुर्लक्ष किया. सालवे-विटणकर ने बताया कि यहां केंद्र सरकार की बड़े पैमाने पर खान है. जिसके चलते एनआयएमएच को नागपुर में ही रखना चाहिए था, लेकिन उसे गुजरात ले जाया गया. खान को ध्यान में रखते हुए कम
से कम नागपुर एनआयओएच की एक शाखा तो खोलनी चाहिए थी. लेकिन वह भी नहीं हुआ. केंद्रीय कामगार शिक्षण मंडल को जब दिल्ली में शिफ्ट किया जा रहा था, उस समय भी स्थानीय नेता उदासीन थे. मात्र, शहर के जागरुक नागरिक प्रभाकरराव मारपकवार, मुकेश समर्थ एवं अन्य लोगों ने उस समय जोरदार विरोध किया. लेकिन यह संस्था भी बंद होने से नागपुर में सिर्फ कुछ क्लरिकल स्टाफ शेष रहा है.
* एनआयपीईआर कहां है?
तत्कालीन केंद्रीय अर्थमंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रीय औषधीय शिक्षण व अनुसंधान संस्था (एनआयपीईआर) की शाखा नागपुर में खोलने की घोषणा फरवरी 2015 में की थी. इसके लिये राज्य सरकार ने तुतंर वर्धा रोड के कालडोंगरी में 40 एकड़ जगह भी निश्चित की थी. लेकिन सात वर्ष बीतने के बाद भी केंद्रीय अर्थमंत्रालय के एक्सपेंडिचेर फायनान्स कमिटी द्वारा इसे हरी झंडी नहीं दिखाई गई.
* एमआरओ गया हैदराबाद
महाविकास आघाड़ी के नेता टाटा एअरबस प्रकल्प गुजरात में जाने के कारण शिंदे-फडणवीस सरकार को दोष दे रहे हैं. फ्रान्स की कंपनी सेफरन ने मिहान में एमआरओ लगाने की इच्छा दर्शायी थी. लेकिन महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी ने समय पर जमीन उपलब्ध नहीं करवायी.