नागपुर/दि.11– विगत कुछ दिनों के दौरान नागपुर सहित देश के विभिन्न हिस्सों से सडी हुई सुपारी की खेप बडे पैमाने पर जप्त की गई. देश के अन्य हिस्सों में पकडी गई सुपारी के बारे में पता चला कि, इसे नागपुर ही भेजा जा रहा था. ऐसे में यह स्पष्ट है कि, इन दिनों नागपुर सडी हुई सुपारी की खरीदी-बिक्री का एक बडा केंद्र बन गया है और यहां पर सालाना करोडों रूपयों की सडी हुई सुपारी की खरीदी-बिक्री होती है. चूंकि समूचे विदर्भ क्षेत्र में खर्रा खानेवालों की संख्या बहुत अधिक है. जिसमें इसी सडी हुई सुपारी का प्रयोग होता है. ऐसे में सडी हुई सुपारी के अवैध व्यवसाय को रोकना पुलिस तथा अन्न एवं औषधी प्रशासन के सामने एक बडी चुनौती है. इस बारे में जानकारी मिलने पर अन्न व औषधी प्रशासन विभाग तथा पुलिस महकमे द्वारा कार्रवाई तो की जाती है, किंतु अब तक इस व्यवसाय को पूरी तरह से बंद नहीं कराया जा सका है. जिसके चलते पुलिस एवं अन्न व औषधी प्रशासन विभाग पर अक्सर ही अनदेखी का आरोप भी लगता है.
बता दें कि, सडी हुई सुपारी की तस्करी की वजह से केंद्र एवं राज्य सरकार का करोडों रूपयों का कर भी चुराया जाता है. इस कर चोरी को रोकने हेतु ही प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रयास किये जाने की जरूरत है. सडी सुपारी के व्यवसाय के तार इंडोनेशिया, नायजेरिया, थाईलैंड व श्रीलंका से जुडे हुए है तथा बांग्लादेश के रास्ते चोरी-छिपे पध्दति से यह सुपारी भारत में भेजी जाती है. जिसके बाद आसाम, मेघालय, गुवाहाटी व नागालैंड के रास्ते से सुपारी की खेप को नागपुर भेजा जाता है. पश्चात इसी सडी हुई सुपारी का प्रयोग करते हुए खर्रा और गुटखा तैयार किया जाता है. खर्रा और गुटखा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, यह पता रहने के बावजूद लोगबाग इसे खाते है. जिसकी वजह से कई बार कैन्सर जैसी बिमारी भी होती है. लेकिन इसके बावजूद भी खर्र व गुटखे में प्रयुक्त होनेवाली सडी हुई सुपारी की तस्करी को रोकने में प्रशासन काफी हद तक असमर्थ साबित हो रहा है. वहीं इस व्यवसाय में लिप्त लोग करोडों रूपयों की खरीदी-बिक्री का व्यवसाय करते हुए अच्छा-खासा पैसा बना रहे है.