विदर्भ

संतरा, मोसंबी की नुकसान भरपाई उचित नहीं

विदर्भ के नुकसान पर हुई चर्चा

मंत्री उदय सामंत ने दी जानकारी
नागपुर/ दि.24 – विदर्भ के संतरा और मोसंबी पर आये रोग के कारण फसलों का नुकसान हुआ रहा तो भी यह प्रादुर्भाव आर्थिक नुकसान स्तर के नीचे है. इस कारण नुकसान भरपाई देते नहीं आ सकती, ऐसी जानकरी फलोत्पादन मंत्री उदय सामंत ने दी.
विदर्भ के 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर पर संतरा और मोसंबी बुआई की गई थी, लेकिन अतिवृष्टि के कारण इन फसलों का नुकसान हो गया. इस कारण संतरे कोलशी रोग के कारण काले पडने लगे और उसके उत्पादन में कमी आ गई, लेकिन किसानों को इसकी नुकसान भरपाई नहीं मिली. साथ ही कृषि विभाग व्दारा सर्वेक्षण भी ठिक तरीके से नहीं किया गया, ऐसा आरोप किसान करते रहने की जानकारी विधायक अमोल मिटकरी ने विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रश्न के दौरान कही. रोग का प्रादुर्भाव हुआ रहते शासकीय यंत्रणा व्दारा अनदेखी की गई और संतरा उत्पादकों को कोई भी मार्गदर्शन नहीं किया गया, ऐसी भी शिकायत किसानों व्दारा की गई है.
मंत्री उदय सामंत ने राज्य में संतरे का 1 लाख 9 हजार 977 हेक्टेयर और मोसंबी का 12 हजार 690 हेक्टेयर क्षेत्र विदर्भ में रहने की जानकारी दी. इसमें से 92 हजार 747 हेक्टेयर क्षेत्र बारिश के कारण बाधित हुआ है. नागपुर जिले में कोलशी रोग के कारण 2882 हेक्टेयर क्षेत्र का संतरा और 270 हेक्टेयर क्षेत्र की मोसंबी पर यह रोग पाया गया, लेकिन यह नुकसान आर्थिक नुकसान स्तर के नीचे रहने की बात सर्वेक्षण में पायी गई है. अमरावती विभाग में कोलशी के कारण संतरे का कुछ भी नुकसान नहीं हुआ है. संतरा और मोसंबी इन दोनों फसलों के नुकसान भरपाई के नियम अन्य फसलों से अलग है, ऐसी जानकारी सामंत ने जवाब देते हुए दी. किसानों में रोग बाबत जागृति करना और दवाई का छिडकाव करना यह दो ही उपाय है. कृषि विभाग व्दारा सभी तरफ सर्वेक्षण किया गया है. किसी की भी शिकायत होगी तो वहां फिर से सर्वेक्षण किया जा सकेगा, ऐसा भी उन्होंने कहा. संतरे के लिए गारंटी दाम देने बाबत सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और वरुड परिसर में प्रक्रिया उद्योग शुरु करने की मांग रणजीत पाटील ने की. इस संदर्भ में अधिवेशन समाप्त होने के बाद बैठक लेने का आश्वासन सामंत ने दिया. जो संतरा बाजार में आया है, उसे स्टोर रखने के लिए कृषि उत्पन्न बाजार समिति के जरिये सुविधा किये जाने की मांग प्रवीण दटके ने की.

बेवजह के सवाल पर वाद
अमोल मिटकरी के ध्यानाकर्षण प्रश्न पर चर्चा काफी लंबी हुई. उसके बाद सूचना रखने के इच्छूक विधायक डॉ. मनीष कायंदे ने यह बात सभापति के ध्यान में ला दी. इस दौरान उन्होंने बेवजह चर्चा होेने का शब्दप्रयोग किया. इस बात पर भाजपा के विधायक ने आपत्ति ली. विदर्भ में अधिवेश होने से यहां के किसानों के विषय पर होने वाली चर्चा बेवजह कैसे हो सकती है, ऐसी टिप्पणी भी भाजपा विधायकों ने की. यह शब्द प्रयोग देखकर उसे रिकॉर्ड से निकाला जाएगा, ऐसा उपसभापति निलम गोरे ने कहा.

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