* शिवसेना सांसद कृृपाल तुमाने का पत्रवार्ता में कथन
नागपुर/दि.29- अमरावती की सांसद नवनीत राणा अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के तहत केंद्र सरकार में मंत्री बनना चाहती है. साथ ही जाति के फर्जी प्रमाणपत्रवाले मामले में वे अपने पक्ष में फैसला चाहती है. जिसके लिए दिल्ली के इशारे पर सांसद नवनीत राणा तथा उनके पति व विधायक रवि राणा द्वारा तमाम तरह की उठापटक की जा रही है. जिसके तहत वे आये दिन कोई न कोई नया मुद्दा लाकर राजनीतिक कलाबााजिया दिखा रहे है. इस आशय का सनसनीखेज आरोप शिवसेना के सांसद कृपाल तुमाने द्वारा लगाया गया. यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में सांसद कृृपाल तुमाने ने कहा कि, सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा ने अमरावती में एक काफी बडा भूखंड हडप लिया है. जिसके दस्तावेज उनके पास उपलब्ध है. साथ ही उन्होंने अमरावती के एक बडे बिल्डर से मिलीभगत करते हुए एक निर्माण कार्य पर भी कब्जा किया है. जहां पर एक बहुत बडी इमारत को बनाने का काम शुरू किया गया है. इसी तरह अमरावती के एक व्यक्ति की संस्था को हडपते हुए राणा दम्पति ने उस पर भी अपना कब्जा जमाने का प्रयास शुरू किया है. इन सभी बातों के सबूत उनके पास उपलब्ध है. इसके साथ ही सांसद कृपाल तुमाने ने यह भी कहा कि, नवनीत राणा का जाती वैधता प्रमाणपत्र फर्जी रहने की बात मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा मान्य की गई है और इस मामले में अदालत ने नवनीत राणा पर 2 लाख रूपये का दंड भी लगाया है. जिसके खिलाफ नवनीत राणा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है और सुप्रीम कोर्ट से राहत मिले, इस हेतु केंद्र सरकार के बडे व प्रभावी नेताओं को रिझाने व मनाने का काम किया जा रहा है. इसी के तहत उन बडे नेताओं के इशारे पर महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार के खिलाफ राणा दम्पति द्वारा तमाम तरह की कलाबाजिया की जा रही है. राणा दम्पति की ओर से मातोश्री के समक्ष हनुमान चालीसा का पठन करने को लेकर दी गई चेतावनी के बाद शिवसैनिकों द्वारा राणा दम्पति के घर के सामने किये गये हनुमान चालीसा के पठन को पूरी तरह सही बताते हुए सांसद कृपाल तुमाने ने कहा कि, वस्तुत: हनुमान चालीसा का पठन अपने घर अथवा मंदिर में किया जाना चाहिए. किंतु राणा दम्पति द्वारा इसका सार्वजनिक प्रदर्शन करते हुए लोगों की धार्मिक आस्थाओं का मजाक उडाया जा रहा था. ऐसे में शिवसैनिकों द्वारा उन्हें उनकी जगह दिखाई गई.
* खुद को दलित न समझे नवनीत राणा
इस पत्रवार्ता में उपस्थित शिवसेना नेता सुरेश साखरे ने कहा कि, नवनीत राणा ने खुद को बिल्कुल भी दलित नहीं कहना या समझना चाहिए. फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आने के बाद उन्होंने दलितों व आदिवासियों के विकास में कोई योगदान नहीं दिया. साथ ही डॉ. पल्लवी तडवी द्वारा की गई आत्महत्या, भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा दिनेश वाघमारे नामक युवक की गला काटकर की गई हत्या तथा औरंगाबाद में एक दलित युवक के साथ मंदिर में प्रवेश करने को लेकर हुई मारपीट जैसी घटनाओें के संदर्भ में नवनीत राणा ने आज तक एक शब्द भी नहीं कहा. ऐसे मेें उन्हें खुद को दलित कहलवाने का कोई अधिकार नहीं है.