नागपुर/ दि. 26- फिजुल और आम स्वरुप के आरोप के तहत दर्ज मामले रद्द करना आवश्यक है. ऐसे मामले कायम रखे गए, तो कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होता है. इस तरह का निरीक्षण मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक प्रकार के निर्णय में दर्ज किया तथा नागपुर की दो महिलाओं के खिलाफ दर्ज विनयभंग व अन्य विवादास्पद मामले रद्द किये.
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और महेंद्र चांदवानी की बेंच ने यह फैसला सुनाया. आरोपी महिलाओं को नाम वर्षा बांगरे व रजनी बांगरे हैं. 13 फरवरी 2019 को महिला पुलिस शुभांगी मोहरे की शिकायत पर हुडकेश्वर पुलिस ने दोनों महिलाओं सहित अन्य पर धारा 353, 354, 332 और 294 के तहत मामला दर्ज किया था. इन दोनों महिलाओं ने यह मामले रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. अदालत को शिकायतकर्ता के आरोप व गवाहों के बयान पर से इस मामला के मानक पूर्ण हुए नहीं दिखाई दिये. एक प्रकरण में पुलिस दल बांगरे के घर कार्रवाई के लिए गया था. तब बांगरे परिवार ने उनके साथ विवाद किया, लेकिन इन दोनों महिलाओं व्दारा इस तरह की घटना को अंजाम दिया रहने के सबूत रिकॉर्ड पर नहीं है. इस कारण उनके खिलाफ मामले कायम नहीं रखे जा सकते, ऐसा भी अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा. आरोपियों की तरफ से एड. राजेंद्र डागा ने कामकाज संभाला.