विदर्भ

विदर्भ विकास बोर्ड को कार्य विस्तार नहीं

संतुलित प्रादेशिक विकास पर ग्रहण

* राज्य स्थापना दिवस पर चर्चा
नागपुर/दि. 1– महाराष्ट्र स्थापना दिवस की वर्षगांठ पर विदर्भ विकास बोर्ड के बारे में चर्चा शुरू है. प्रादेशिक विकास का संतुलन रखने के लिए बोर्ड की स्थापना की गई थी. किंतु गत 4 वर्षो से बोर्ड का कार्य विस्तार नहीं किया गया है. अनुशेष पर भी शासन ने चुप्पी साध रखी है. बता दें कि मामला हाईकोर्ट में हैं. उच्च न्यायालय ने विदर्भवादियों की अर्जी विचारार्थ स्वीकार कर सरकार को नोटिस जारी की है. जिसका जवाब आगामी 12 जून तक देना है.

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के संतुलित प्रादेशिक विकास के लक्ष्य को साधने के लिए राष्ट्रपति के आदेश पर 1994 में विदर्भ, मराठवाडा और शेष महाराष्ट्र के लिए वैधानिक विकास बोर्ड का गठन किया गया था. संविधान के तहत हुए निर्णय से महाराष्ट्र के राज्यपाल को बजटीय दिशा निर्देश देने का अधिकार मिल गया. विकास बोर्ड का कार्यकाल अब तक 5 बार बढाया जा चुका है. किंतु 30 अप्रैल 2020 को कार्यकाल समाप्त होने के बाद कार्य विस्तार नहीं दिया जा सका.

विकास बोर्ड तकनीकी रूप से अस्तित्व में नहीं है. किंतु नागपुर में उसका कार्यालय शुरू है. वहां कार्यरत अधिकारी और कर्मियों को सितंबर तक बोर्ड में रखने का आदेश जारी हो चुका है. बोर्ड के पास कोई ठोस कार्य नहीं हैं. इसलिए कर्मचारी केवल हस्ताक्षर के लिए कार्यालय आते हैं.

* कोर्ट ने मांगा केंद्र से जवाब
विदर्भवादी नेता कपिल चंद्रायन ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर कर रखी हैं. खंडपीठ ने इस संदर्भ में केंद्र सरकार से आगामी 12 जून तक जवाब दाखिल करने कहा हैं. न्यायालय के आदेश से विकास बोर्डो को पुनजीर्वित किया जा सकेगा. उम्मीद है कि इससे महाराष्ट्र का संतुलित विकास होगा.

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