विदर्भ

829 गांवों में इंटरनेट ही नहीं

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

नागपुर/दि.21 – जहां एक ओर देश डिजीटल क्रांति की ओर आगे बढ रहा है, वहीं राज्य के गडचिरोली जिले के 829 से अधिक गांवों में अब तक इंटरनेट नहीं पहुंचा है. जिसे लेेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगने के साथ ही यह भी जानना चाहा है कि, यदि ऐसे ही चलता रहा, तो महाराष्ट्र का भविष्य कैसे तैयार किया जायेगा.
बता दें कि, इस समय कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी स्कुल व कॉलेज बंद है और विद्यार्थियोें को ऑनलाईन शिक्षा दी जा रही है. किंतु इंटरनेट की सुविधा नहीं रहनेवाले गांवों के विद्यार्थी ऑनलाईन पढाई से वंचित है. मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने इस बात को बेहद गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से जानना चाहा कि, इन गांवों में इंटरनेट की सुविधा क्यों उपलब्ध नहीं करायी गई. साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने हेतु कहा है.
इस मामले को लेकर न्यायमूर्तिद्वय सुनील शुक्रे व अनिल पानसरे की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई और न्यायालय मित्र एड. फिरदौस मिर्झा ने केंद्रीय दूरसंचार विभाग के हलफनामें में दी गई जानकारी की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि, गडचिरोली जिले के 829 से अधिक गांवों में इंटरनेट की सुविधा ही नहीं है. इसके साथ ही शिक्षा अधिकार अधिनियम व अन्न सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी देते हुए बताया गया कि, सभी विद्यार्थियों को नियमित तौर पर मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराना आवश्यक है. किंतु ऑनलाईन शिक्षा की वजह से कई स्थानों पर मध्यान्ह भोजन नहीं दिया जाता. साथ ही इस योजना का अनुदान भी रोक दिया गया है. इस जानकारी से अवगत होने के बाद अदालत ने इसे लेकर भी राज्य सरकार को स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया.
बता दें कि, वर्ष 2022 के दौरान गडचिरोली निवासी 10 शालेय विद्यार्थियों ने उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर ऑनलाईन शिक्षा व मध्यान्ह भोजन उपलब्ध नहीं रहने के संदर्भ में शिकायत की थी. जिसका संज्ञान लेते हुए खुद न्यायालय ने इसे लेकर खुद एक जनहित याचिका दाखिल की थी.

विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में

न्यायालय ने इस मामले को लेकर सुनवाई करते हुए कहा कि, एक ओर तो कोविड संक्रमण के चलते शालाएं बंद है. वहीं दूसरी ओर संबंधित विद्यार्थियों के लिए ऑनलाईन शिक्षा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसी परिस्थिति में राज्य की भावी पीढी का भविष्य क्या होगा, इसकी महज कल्पना की जा सकती है और इन विद्यार्थियों के भविष्य को खतरे में कहा जा सकता है.

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