विदर्भ

बिक्री पत्र नहीं; डेवलपर को जुर्माना

30 दिनों में अमल में लाये ; ग्राहक शिकायत निवारण का आदेश

नागपुर/दि.3 भूखंड बेचने संबंधी करार के बाद उस संबंध का बिक्री पत्र दर्ज न किए जाने पर रामेश्वर बिल्डर एंड डेवलपर्स ने शिकायतकर्ता को 3 लाख 35 हजार रुपए आखरी रकम के रुप में लौटाने की तारीख तक 18 प्रतिशत ब्याज से लौटानेया विवादित भूखंड के रेडीरेकनर दर के अनुसार 97 प्रतिशत रकम अदा की जाये, ऐसे दो पर्याय दिए हैं. इनमें जिसमें रकम अधिक होगी, उसके अनुसार रकम अदा की जाये, ऐसे आदेश जिला ग्राहक शिकायत निवारण मंच ने दिए है.
बावजूद इसके शिकायतकर्ता को हुई शारीरिक, मानसिक तकलीफ निमित्त भरपाई के रुप में 30 हजार रुपए व शिकायत के खर्च के अंतर्गत 10 हजार रुपए अदा किये जाये, इसके साथ ही इस आदेश को 30 दिनों में अमल में लाने की बात आदेश में कही है. मंच के अध्यक्ष संजय पाटील, सदस्य स्मिता चांदेकर और अविनाश प्रभुणे ने इस संबंध का आदेश दिया.
शिकायत के अनुसार 2008 में टेका नाका परिसर के चरणजीत कौर ने रामेश्वर बिल्डर एंड लॅण्ड डेवलपर्स से उमरेड तहसील के मौजा-चारगांव परिसर के ले आऊट में 5 हजार 300 चौरस फुट की जमीन 3 लाख 45 हजार में खरीदी की. रामेश्वर बिल्डर एंड लॅण्ड डेवलपर्स के रमेश झाडे व उमंग मते यह दो संचालक हैं. जमीन खरीदी के करारनुसार कौर ने शुरुआत में 1 लाख 72 हजार 500 रुपए की रकम देकर यह करार करवा लिया. पश्चात 24 महीने के हफ्ते में शेष 1 लाख 72 हजार 500 रुपए ऐसे कुल 3 लाख 35 हजार रुपए अदा किए. वहीं इस सौदे के 10 हजार की रकम बिक्री पत्र करवाने के समय देने की बात निश्चित हुई. कुछ कालावधि के बाद कौर ने बिक्री पत्र करवाने बाबत रामेश्वर बिल्डर एंड लैंड डेवलपर से संपर्क किया मात्र उसे प्रतिसाद नहीं मिला. जिसके चलते कौर ने ग्राहक शिकायत मंच में शिकायत की. वहीं भूखंड के चालू बाजार भाव के अनुसार रकम लौटाने और इसमें हुओई मानसिक व शारीरिक परेशानी की भरपाई देने की मांग की.
आयोग ने रामेश्वर बिल्डर एंड लॅण्ड डेवलपर्स को नोटीस के अनुसार मंच में झाडे उपस्थित हुए. लेकिन उन्होंने शिकायत का लिखित उत्तर नहीं दिया. वहीं नोटीस मिलने के बाद भी मते मंच के सामने उपस्थित नहीं हुए. जिससे मंच ने एकतर्फा कार्रवाई करने संबंधी आदेश दिया. इस मामले में झाडे व मते की ओर से ले-आउट एनएटीपी होने के बाद बिक्री पत्र किया जाये, ऐसा कारण बताया गया. दरमियान झाडे व मते ने आयोग के सामने इस बारे में किसी भी प्रकार के कागज पत्र प्रस्तुत नहीं किए. जिसके चलते मंच ने कौर को 3 लाख 35 हजार की रकम जुर्माने के रुप में ब्याज लौटाने या उसी झोन के या समीप के झोन के शासन निर्धारित रेडीरेकनर अकृषक भूखंड की दर के अनुसार मूल्य देने के आदेश दिए. वहीं इससे हुई शारीरिक व मानसिक परेशानी के लिए 30 हजार रुपए व शिकायत के खर्च हेतु 10 हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए हैं.

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