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* वारिसदार ही होते हैं हकदार
नागपुर /दि. 14– यदि कोई नॉमिनी अधिकृत वारिसदार नहीं है तो उसका मृतक व्यक्ति की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता है. बल्कि ऐसी संपत्ति के असल हकदार मृतक व्यक्ति के अधिकृत वारिसदार ही होते है. अत: संबंधित संपत्ति को उसके वारिसदारों के बीच समसमान प्रमाण में वितरित करना आवश्यक होता है, इस आशय का महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की न्या. उर्मिला जोशी-फालके द्वारा सुनाया गया.
नागपुर निवासी दिवंगत गोपालकृष्ण शिवहरे को लक्ष्मीकांत व श्रीराम नामक दो बेटे व शैल व संतोष नामक दो बेटियां है. नागपुर मनपा के ग्रंथालय विभाग में कर्मचारी रहनेवाली शैल ने अपने भाई लक्ष्मीकांत के बेटे अभिषेक को दत्तक लिया था तथा सेवानिवृत्ति के बाद शैल की 6 मई 2013 को मृत्यु हो गई थई. इससे पहले शैल ने अपने बैंक खाते में अभिषेक को नॉमिनी बनाया था. जिसने शैल की मृत्यु के बाद उनके बैंक खाते से 90 हजार 150 रुपए निकाले थे और शेष रकम निकालने का भी प्रयास शुरु किया था. जिस पर शैल के भाई श्रीराम व बहन संतोष ने आपत्ति दर्ज की थी. पश्चात यह मामला उच्च न्यायालय में पहुंचा, जहां पर अभिषेक के कृत्य को हाईकोर्ट ने पूरी तरह से अवैध ठहराया.श
* नॉमिनी को केवल बैंक खाताधारक के अधिकार प्राप्त
– नॉमिनी को केवल बैंक खाताधारक के अधिकार ही प्राप्त हो सकते है तथा खाताधारक की मौत के बाद नॉमिनी उसके बैंक खाते की रकम को निकाल सकता है. परंतु नॉमिनी उस रकम का मालिक नहीं बनता बल्कि वह रकम वारसा हक्क के अनुसार ही वितरित करनी पडती है, ऐसा उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा.
– श्रीराम व संतोष ने शैल के बैंक खाते की रकम अपने सहित लक्ष्मीकांत के बीच वितरित होने हेतु सबसे पहले वरिष्ठ स्तर दिवाणी न्यायालय में आवेदन किया था. परंतु इस न्यायालय ने तीनों वारिसदारों को केवल 60 हजार 993 रुपए में हिस्सा दिया था.
– पश्चात श्रीराम व संतोष ने वरिष्ठ स्तर दिवाणी न्यायालय के निर्णय को अमान्य करते हुए जिला न्यायालय में अपील दाखिल की थी तथा जिला न्यायालय ने इस निर्णय में बदलाव करते हुए तीनों वारिसदारों को 15 लाख 12 हजार 156 रुपए में हिस्सेदार बनाया था.
– इसके बाद लक्ष्मीकांत व अभिषेक ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल की थी. जिसे हाईकोर्ट ने गुणवत्ताहिन बताकर खारिज कर दिया और श्रीराम व संतोष के पक्ष को सही मानते हुए कहा कि, किसी मृतक की संपत्ति पर नॉमिनी का अधिकार नहीं होता. बल्कि उसके असल वारिसदार ही उसकी चल-अचल संपत्ति के हकदार होते है.