विदर्भ

महाराष्ट्र में आठ वर्ष में एक भी नया ग्रंथालय नहीं

वाचन संस्कृति की सिर्फ घोषणा : 6 मार्च 2013 से है बंदी

कोल्हापुर/दि.12 – सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा मराठी भाषा के विकास की घोषणा शुरु है फिर भी महाराष्ट्र में गत आठ वर्षों में एक भी नया ग्रंथालय स्थापित नहीं हुआ. तत्कालीन राष्ट्रवादी, कांग्रेस की आघाड़ी सरकार ने नये ग्रंथालय पर बंदी लगाई और बाद में भाजपा शिवसेना युती सरकार ने उसका पालन किया. जिसके चलते यह बंदी अब भी कायम है.
28 दिसंबर 2011 की मंत्रिमंडल बैठक में ग्रंथालयों को अनुदान बढ़ाने के निर्णय के समय पड़ताल करने का निर्णय लिया गया. 21 मर्ई से 25 मई 2012 इस कार्यकाल में राज्य में एक ही समय महसूल विभाग ने पड़ताल की. इसमें 5,784 ग्रंथालय शर्त पूरी करते पाये गए. 5,788 ग्रंथालय सूचना देकर सुधार होने योग्य होने से और 360 ग्रंथालय दर्जेदार करने योग्य होने के पाये गए. 914 ग्रंथालयों की मान्यता रद्द करने लायक होने की रिपोर्ट दी गई.
पश्चात 6 मार्च 2013 में तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी आघाड़ी सरकार के मंत्रिमंडल ने आगामी आदेश तक किसी भी नये ग्रंथालय को मान्यता न दी जाये व दर्जा न बढ़ाया जाये, ऐसा प्रस्ताव किया. इस निर्णयानुसार दोनों कांग्रेस कीसरकार ने उस समय एक भी ग्रंथालय शुरु नहीं करने दिए. बाद में शिवसेना भाजपा सरकार आयी, उन्होंने भी पांच वर्ष के कार्यकाल में नये ग्रंथालय बाबत कोई बात नहीं की.

गांव वहां ग्रंथालय योजना ठप

सरकार ने इससे पहले ही गांव वहां ग्रंथालय योजना घोषित की थी, लेकिन राज्य में 28 हजार ग्रामपंचायतें रहते मात्र 12 हजार 846 ग्रंथालय उस समय अस्तित्व में थी. यह बंदी लगाकर शासन ने अपनी ही घोषणा पर बंदी लगाई है.

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