चांदूर बाजार नगराध्यक्ष की याचिका पर राज्य सरकार को नोटीस
नगराध्यक्ष को वित्तिय अधिकार से वंचित रखना गैरकानूनी
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हाईकोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब पेश करना होगा
नागपुर/दि.28 – नगराध्यक्षों को वित्तीय अधिकार का उपयोग करने से वंचित रखना गैरकानूनी है, इस तरह का दावा करने वाली याचिका मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दाखिल की गई है. न्यायालय ने राज्य के नगर विकास विभाग के सचिव व अन्य प्रतिवादियों को नोटीस देकर इसपर 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है.
चांदूर बाजार नगर परिषद के अध्यक्ष नितीन कोरडे ने यह याचिका दाखिल की है. उसपर न्यायमूर्तिव्दय सुनील शुक्रे व अनिल किलोर के समक्ष सुनवाई हुई. याचिका के अन्य प्रतिवादियों में अमरावती विभागीय आयुक्त, अमरावती जिलाधिकारी व चांदूर बाजार नगर परिषद के मुख्याधिकारी का समावेश है. महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत व औद्योगिक वसाहत कानून की कलम 58 (1-ए) के अनुसार नगर परिषद के वित्तीय निर्णय को नगराध्यक्षों की मंजूरी आवश्यक है. किंतु चांदूर बाजार नगर परिषद के मुख्याधिकारी 14 अगस्त 2015 के शासन निर्णय के अनुसार कोरडे को वित्तीय अधिकारों का उपयोग नहीं करने देते, इस तरह का आरोप याचिका में किया गया है. हाईकोर्ट की मुख्य पीठ ने 15 फरवरी 2016 को इस शासन निर्णय पर अंतरिम स्थगिति दी है. जिससे मुख्याधिकारी की कृति अवैध है, ऐसा भी याचिका में स्पष्ट किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से एड. राहिल मिर्जा ने कामकाज देखा.
वित्तीय अधिकार इस्तेमाल करने दो
हाईकोर्ट ने कोरडे को कानून के अनुसार वित्तीय अधिकार इस्तेमाल करने दो, इस तरह का अंतरिम आदेश भी दिया है. जिससे कोरडे को राहत मिली है. कोरडे ने इसके लिए शुरुआत में जिलाधिकारी को निवेदन पेश किया था. किंतु इसकी दखल नहीं ली गई. जिससे उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.