दुकान का फलक मराठी में न रहने पर अब 1 लाख रुपए जुर्माना
अतिरिक्त कामगार आयुक्त ने दिये निर्देश

नागपुर /दि.5– मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिला है. मराठी भाषा के अभिमान के लिए कडा कानून किया गया है. दुकान पर नाम फलक मराठी भाषा में रहने की कडी सूचना दी गई. लेकिन शहर में घुमने पर इस नियम का खुलेआम उल्लंघन होता दिखाई दिया. यह नियम तोडने वालों पर कार्रवाई होती दिखाई नहीं दी है. लेकिन अब अतिरिक्त कामगार आयुक्त फिर से इस मामले को लेकर कडे दिखाई दे रहे है. महाराष्ट्र दुकान व आस्थापना अधिनियम 2017 की धारा 36 के प्रावधान के मुताबिक प्रत्येक दुकान का बोर्ड देवनागरी लिपिक की मराठी भाषा और बडे अक्षरों में रखने के निर्देश अतिरिक्त कामगार आयुक्त किशोर दहीफलकर ने दिये है.
आस्थापना के फलक कोई भी भाषा में रह सकते है, लेकिन उसमें मराठी भाषा के अक्षर का आकार अन्य भाषा के अक्षर से बडा रहना चाहिए, ऐसे आदेश दिये गये है. जिन दुकानों से शराब बेची जाती है, ऐसे आस्थापना के बोर्ड पर महान व्यक्ति अथवा गड किले का नाम कोई भी न लिखे ऐसी सूचना दी गई है. इस निर्देश का उल्लंघन करने पर संबंधित के खिलाफ अधिनियम के तहत 1 लाख रुपए जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी. उसके बाद भी आस्थापना द्वारा उल्लंघन चालू रखने पर जितने दिन यह नाम रखा जाएगा, उसके मुताबिक प्रतिदिन 2 हजार रुपए अतिरिक्त जुर्माने की सजा का पात्र होगा.