अब नागपुर के सभी सरकारी व निजी अस्पताल जिलाधीश व मनपा आयुक्त के नियंत्रण में
कोविड संक्रमितों की समस्याओं के मद्देनजर नागपुर हाईकोर्ट ने दिये निर्देश
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संयुक्त रूप से सेंट्रल कंट्रोल यूनिट स्थापित किया जायेगा
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विदर्भ की कोविड राजधानी बन चुका है नागपुर
नागपुर/दि.5 – राज्य की उपराजधानी का दर्जा रहनेवाला नागपुर इस समय विदर्भ क्षेत्र में कोविड संक्रमण के लिहाज से राजधानी बन चुका है. जहां पर रोजाना हजारों की संख्या में कोविड संक्रमित मरीज पाये जा रहे है. साथ ही मरीजों की लगातार बढती संख्या की वजह से सभी कोविड अस्पताल हाउसफुल है और बेड, दवाई, ऑक्सिजन, वेंटिलेटर व रेमडेसिविर इंजेक्शन के अभाव को लेकर बडे पैमाने पर संकटों का सामना करना पड रहा है. ऐसी स्थिति में मरीजों के रिश्तेदारों को तमाम तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करने के साथ-साथ अपने मरीज को लेकर दर-दर भटकना पड रहा है. इन तमाम बातों के मद्देनजर मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने मंगलवार को एक बेहद महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया. जिसके तहत नागपुर शहर एवं जिले के सभी सरकारी व निजी कोविड अस्पतालोें को मनपा आयुक्त व जिलाधीश के नियंत्रण में रखने का आदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी किया गया है. इस हेतु संयुक्त रूप से एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष स्थापित करते हुए शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों में हर एक मरीज के लिए बेड व ऑक्सिजन आपूर्ति की व्यवस्था करने के साथ ही रेमडेसिविर व तोसिलीजुमैब जैसी आवश्यक दवाईयों की आपूर्ति पर नियंत्रण रखा जायेगा. इसके लिए नागपुर के जिलाधीश रविंद्र ठाकरे तथा मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. को व्यवस्थापन के संपूर्ण व्यवहार बहाल किये गये है और इस आदेश पर बुधवार 5 मई से ही अमल करना शुरू किया जायेगा.
हाईकोर्ट के आदेशानुसार सिवील लाईन्स परिसर स्थित मनपा की छत्रपति शिवाजी महाराज प्रशासकीय इमारत की छठवीं मंजील पर सेंट्रल कंट्रोल रूम की स्थापना की जा रही है. यह कंट्रोल यूनिट सप्ताह के सातों दिन और दिन के चौबीसों घंटे काम करता रहेगा और इस कंट्रोल रूम के जरिये शहर सहित जिले के सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों को रेमडेसिविर, तोसिलीजुमैब, ऑक्सिजन तथा अन्य सुविधाओं की आपूर्ति की जायेगी. साथ ही जनता के लिए कंट्रोल रूम के टेलीफोन नंबर, मोबाईल नंबर व वॉटसऍप नंबर जारी किये जायेंगे. इस हेतु अतिरिक्त जिलाधीश के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम को तीन शिफ्टों में यहां पर तैनात किया जायेगा.
इस नई व्यवस्था के तहत अब किसी भी सरकारी व निजी अस्पताल में कोविड संक्रमित मरीज को सीधे भरती नहीं किया जायेगा, बल्कि मरीज हेतु कंट्रोल रूम द्वारा बेड अलॉट करने के बाद ही मरीज की भरती होगी. कंट्रोल रूम द्वारा भेजे गये मरीज को भरती करने से संबंधित अस्पताल द्वारा इन्कार नहीं किया जा सकेगा. यदि संबंधित अस्पताल में आयसीयू बेड उपलब्ध नहीं है, तो भी उस अस्पताल को कंट्रोल रूम द्वारा भेजे गये मरीज का इलाज शुरू करना होगा. इसी दौरान कंट्रोल रूम द्वारा संबंधित मरीज के लिए किसी अन्य अस्पताल में आयसीयू बेड को खोजते हुए उसे वहां शिफ्ट किया जायेगा. इस हेतु सभी अस्पतालों को अपने यहां उपलब्ध बेड की जानकारी लगातार कंट्रोल रूम से संपर्क करते हुए अपडेट करनी होगी.
नागपुर मनपा के अतिरिक्त आयुक्त जलज शर्मा तथा नागपुर के अतिरिक्त जिलाधीश शिरीष पांडे द्वारा कंट्रोल रूम के व्यवस्थापन को संभाला जायेगा. साथ ही कंट्रोल रूम की गाईडलाईन का उल्लंघन करनेवाले सरकारी या निजी कोविड अस्पताल पर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश भी नागपुर हाईकोर्ट द्वारा दिया गया है.
सभी जिलों में हो ऐसी ही व्यवस्था
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इन दिनों अमरावती, बुलडाणा, अकोला व यवतमाल तथा चंद्रपुर जिले में कोविड संक्रमण को लेकर हालात काफी हद तक अनियंत्रित है. इन सभी जिलों में संक्रमितों की संख्या लगातार बढती जा रही है और स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधाएं अपर्याप्त पडने लगी है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, हाईकोर्ट द्वारा जो व्यवस्था नागपुर शहर व जिले के लिए की गई है, उसी तरह की व्यवस्था अब सभी जिलों में की जानी चाहिए. जिसके तहत सभी जिलों के सरकारी व निजी कोविड अस्पतालों का नियंत्रण संबंधित जिले के जिलाधीश व स्थानीय स्वायत्त प्रशासन के सुपुर्द किया जाना चाहिए.