राज्य की उर्दू स्कूलों में भी अब स्थायी मराठी शिक्षक
1 ली कक्षा से ही छात्रों को मराठी अध्यापन का निर्णय

नागपुर/दि.12-राज्य की उर्दू स्कूलों में कार्यरत मराठी शिक्षकों को स्थायी करने और मराठी विषय के अध्यापन की शुरुआत 1 ली कक्षा से ही करने का प्रस्ताव महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने शिक्षा विभाग को भेजा है. शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में इस प्रस्ताव पर अमल किया जाएगा, यह जानकारी आयोग अध्यक्ष मंत्री दर्जा प्राप्त प्यारे जिया खान ने दी.
राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष बनने के बाद खान ने उर्दू स्कूलों में पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के बजाय आधुनिक शिक्षा प्रणाली स्वीकारने पर विशेष जोर दिया है. उर्दू स्कूलों के छात्रों को मराठी भाषा का ज्ञान मिलें, इसके लिए मराठी भाषा पढाना अनिवार्य करने का निर्णय लिया जा रहा है. इस उपक्रम के अंतर्गत नागपुर में प्यारे खान और मराठी फाउंउेशन के शिक्षकों में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में उर्दू स्कूलों में मराठी अध्यापन की जरूरत और मराठी शिक्षकों के विविध समस्याओं पर चर्चा की गई. बैठक में मराठी फाउंडेशन के शिक्षकों ने कई समस्या रखी. जिसमें उर्दू स्कूलों में मराठी भाषा के स्तर की गिरावट, मराठी शिक्षकों का वेतन, छात्रों उर्दू पर कम हो रहा आकर्षण आदि सहित अनेक मुद्दों का समावेश है. राज्य की उर्दू स्कूलों में पहले 4500 से अधिक मराठी शिक्षक कार्यरत थे, हालांकि अब यह संख्या घटकर केवल 500 रह गई है. इसमें से नागपुर में केवल 26 शिक्षक कार्यरत है. शिक्षकों की कमी के कारण उर्दू स्कूलों में मराठी शिक्षा पर परिणाम हो रहा है. इस स्थिति पर खान ने गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने मराठी शिक्षकों की संख्या बढाने के लिए नए शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी तथा फिलहाल अस्थायी तौर पर कार्यरत शिक्षकों को जल्द ही स्थायी करने का आश्वासन दिया है.