विदर्भ

अब कुल्ले से भी हो सकेगी कोविड टेस्ट

नीरी के वैज्ञानिकों ने किया महत्वपूर्ण संशोधन

  • आयसीएमआर ने दी मान्यता

  • लोगों के समय व पैसे की बचत होगी

नागपुर/प्रतिनिधि दि.२० – गले अथवा नाक के जरिये स्वैब का सैम्पल लेते हुए कोविड टेस्ट करवाना कई लोगोें के लिए काफी तकलीफदेह साबित होता है. किंतु अब कुल्ला करने के लिए कोविड की टेस्ट करना संभव हो गया है. नागपुर के राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संशोधन संस्था (नीरी) ने कोविड टेस्टिंग के संदर्भ में एक नया तरीका खोज निकाला है और इस संशोधन को आयसीएमआर ने अपनी मान्यता भी दी है. ऐसे में जल्द ही टेस्टिंग के इस नये तरीके पर समूचे देश में अमल किया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि, आरटीपीसीआर व रैपीड एंटीजन टेस्ट हेतु नाक अथवा गले से स्वैब का सैम्पल लेकर उसे रासायनिक द्रव्य रहनेवाली ट्यूब में डाला जाता है. इस टेस्ट हेतु सुसज्जित प्रयोगशाला व प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत रहती है. वहीं नाक से स्वैब का सैम्पल लेते समय होनेवाली झूनझुनाहट काफी तकलीफदेह होती है और कई लोगों को सैम्पल देते समय नाक में घाव हो जाने के मामले भी सामने आये है. किंतु अब यह सभी तकलीफें दूर हो जायेगी, क्योंकि नीरी के वायरॉलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. क्रिष्णा खैरनार ने एक नई तकनीक विकसित की है. जिसे कोविड टेस्टिंग के संदर्भ में सबसे उपयुक्त माना जा रहा है.
इस टेस्टिंग को ‘सलाईन गारगल आरटीपीसीआर टैस्ट’ का नाम दिया गया है. इस टेस्टिंग प्रक्रिया में आरएनए एक्सट्रेक्शन की जरूरत खत्म हो जायेगी और बेहद कम समय में कोविड टेस्ट रिपोर्ट प्राप्त होगी. साथ ही इस टेस्टिंग हेतु बडे पैमाने पर स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत भी नहीं पडेगी. इस टेस्ट के लिए संबंधित व्यक्ति को सलाईन वॉटर से 15 मिनट तक कुल्ला करते हुए उस कुल्ले का सैम्पल प्रयोगशाला में देना होगा. पानी का घनत्व हवा की तुलना में 800 गुना अधिक होता है. सलाईन के पानी से कुल्ला करने पर गले व नाक में मौजूद वायरस उस पानी में आ जायेगा और उसे बेहद आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा. साथ ही इस टेस्ट की रिपोर्ट महज तीन घंटे के भीतर प्राप्त हो जायेगी.

  • ऐसे होगा फायदा

– नाक व गले से स्वैब लेते समय होनेवाली तकलीफ नहीं होगी.
– सलाईन वॉटर से घर पर ही कुल्ला करते हुए उसका सैम्पल प्रयोगशाला में जांच हेतु दिया जा सकेगा.
– जांच के लिए लंबी कतारों में खडे रहने की जरूरत नहीं होगा.
– कोविड टेस्ट रिपोर्ट बेहद कम समय में देना संभव होगा.

इस नई टेस्टिंग पध्दति के चलते कोविड टेस्ट के लिए लोगों की कतारें नहीं लगेगी. साथ ही उनके नाक या गले से स्वैब का सैम्पल भी नहीं लेना पडेगा. इस पध्दति के जरिये नागरिकों के साथ ही सरकार एवं प्रशासन का पैसा व समय बचेगा. अत: जल्द से जल्द इस नई पध्दति पर अमल किया जाना जरूरी है. शुरूआती चरण में समूचे देश की करीब 500 लैब में इस पध्दति का उपयोग किया जानेवाला है.
– डॉ. कृष्णा खैरनार
वैज्ञानिक, नीरी

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