विदर्भ

तीन में से एक बच्चा जीवित नहीं तो

दो बच्चों का कानून लागू नहीं

वाशिम के ग्रापं सदस्य को राहत
नागपुर/दि.6- बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने वाशिम के ग्राम पंचायत सदस्य की अर्जी को मंजूर करते हुए नामांकन के समय उसे दो ही बच्चे होने के कारण सदस्यता अयोग्य ठहराने की कार्रवाई से राहत दे दी है. न्या. अनिल किलोर ने आदेश में स्पष्ट कहा कि जिस समय याचिकाकर्ता ने नामांकन पत्र भरा था, उस समय उसे दो ही बच्चे थे. इसलिए उन पर महाराष्ट्र ग्रामपंचायत एक्ट 1959 की धारा 14 (1) (जे 1) अंतर्गत दो बच्चे वाला कानून लागू नहीं होता.
मंगरूल पीर तहसील अंतर्गत शेलूबाजार ग्रामपंचायत के चुनाव 2020 में हुए थे. याचिकाकर्ता हितेश वाडेकर ने 29 दिसंबर 2020 को पर्चा दाखिल किया. उनके विरोधियों ने चुनाव अधिकारी के पास हितेश के तीन बच्चे होने के सबूत देकर पर्चा खारिज करवा दिया. हितेश वाडेकर ने कोर्ट की शरण ली. उनके वकील तेजस देशपांडे ने उच्च न्यायालय से अंतरिम राहत दिलवा दी.
हितेश वाडेकर चुनाव लड़े. विजयी भी हुए. उन पर अयोग्यता की कार्रवाई की नोटीस दी गई. जिसे उन्होंने सिविल जज की अदालत में चुनौती दी. वहां न्याय नहीं मिलने पर वाडेकर ने पिछले वर्ष हाइकोर्ट में याचिका दायर की. जिसमें कोर्ट को बताया गया कि वाडेकर को 16 मई 2017 को बेटा हुआ. वह 7 अगस्त 2017 को गुजर गया. फिर उन्हें 23 अक्तूबर 2018 और 25 दिसंबर 2019 को दो बच्चे हुए. जब उन्होंने 29 दिसंबर 2020 को चुनाव के लिए नामांकन दायर किया, वे दो ही बच्चों के पिता थे. न्या. अनिल किलोर ने इस तर्क को मान्य किया और वाडेकर के नामांकन तथा चुनाव को सही ठहराया. कोर्ट ने सत्र न्यायालय के न्यायाधीश की गलती का भी उल्लेख किया. जिसने वाडेकर की चुनाव अर्जी खारिज कर दी थी.

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