प्याज ने किसानों की आंखों में लाए आंसू
पथ्रोट/ दि. 23- अमरावती जिला समेत महाराष्ट्र राज्य में प्याज का उत्पादन भारी मात्रा में होता है. विशेषकर सफेद प्याज यह औषधीयुक्त रहने से बाजार पेठ में इसकी मांग रहनी चाहिए. लेकिन सरकार की नीति के कारण और व्यापारियों की मनमानी के कारण किसानों को बाजार भाव ने मिलने से प्याज उत्पादक किसान दुविधा में आ गए है.
प्याज को 6 से 10 रूपए प्रतिकिलो भाव मिल रहे है. इससे उत्पादन खर्च भी नहीं निकलता. मशक्कत, मजदूरी, रासायनिक खाद, औषध व यातायात खर्च में भी काफी बढोत्तरी हुई है. खर्च का अनुमान नहीं लगाया जा सकता. इस कारण उत्पादन लेने के बाद भी किसान दुविधा में आ गए है. प्याज टिकाकर रखने के लिए कोई भी उपाय योजना किसानों के पास नहीं है. मौसम में बदलाव के कारण प्याज ज्यादा दिन नहीं रह सकता. वर्तमान में बेमौसम बारिश से प्याज की फसल को नुकसान पहुंचा है. किसान दुविधा स्थिति में है. प्याज घर में रखा तो उचित भाव मिलेंगे अथवा नहीं यह कहा नहीं जा सकता. ऐसे में प्याज सड गया तो सारा किए कराए पर पानी फिर सकता है. शासन द्बारा गारंटी दाम में प्याज खरीदी करने की मांग परिसर के किसानों द्बारा की जाने लगी है. अमरावती जिले में कहीं भी लाल प्याज का उत्पादन नही होता. इस कारण राज्य सरकार की तरफ से लाल प्याज बिक्री को अनुदान घोषित किया गया. लेकिन सफेद प्याज को कोई भी अनुदान नहीं दिया गया है. ऐसे आर्थिक नुकसान में प्याज उत्पादक किसान फंस गए है.
* प्याज निकालने मजदूर नहीं मिलते
प्याज निकालने के लिए मजदूर न मिलने से इस फसल को निकालने का खर्च 10 से 12 हजार रूपए आता है. मजदूरी बढने से खर्च भी बढा है. मजदूरों को यात्रा खर्च भी देना पडता है. पिछले वर्ष की तुलना में चालू वर्ष का उत्पादन खर्च भी बढा है. इस कारण किसान परेशानी में आ गए है. शासन द्बारा प्याज को गारंटी दाम देकर प्याज की खरीदी करनी चाहिए.
-अरूण सोलंके, प्याज उत्पादक किसान