नागपुर प्रतिनिधि/दि.12 – यवतमाल जिले के पांढरकवडा परिसर में आतंक मचाने वाले टी-1 (अवनी) इस बाघीन को जान से मारने की साजिश दो पशुवैद्यकोकी ही थी, इस तरह का सनसनीखेज प्रतीक्षा पत्र शिकारी शफत अली खान (63, हैदराबाद) और उनका बेटा असगर अली खान (40) ने हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दाखिल की है.
इन पशुवैद्यको ने महाराज बाग की एक बाघीन का मुत्र अवनी बाघीन के क्षेत्र में डाला था. जिससे वह स्वयं को और उसके शावकों को असुरक्षित समझने लगी. तभी से वह एक ही रास्ते पर दबीश रखकर रहती थी. हमने उसे बेहोश करने के लिए डॉट मारा. लेकिन डॉट मारने के बाद बाघीन को बेहोश होने के लिए कम से कम 10 से 15 मीनट लगते है. इस दौरान वह और अधिक बौखला गई और उसने दल पर हमला किया. हम खुली जिप्सी में थे. चालक भी घबरा जाने से वाहन रास्ते के निचे उतर गया. अवनी पांच से सात मीटर दूरी पर रहते समय स्वयं के और दल के अन्यों की जान बचाने के लिए उसे जान से मारना पडा, ऐसा इस प्रतीज्ञा पत्र में स्पष्ट किया गया है. अवनी बाघीन ने यवतमाल जिले के पांढरकवडा वन परिक्षेत्र अंतर्गत 13 लोगों की बली ली थी.
हाईकोर्ट ने वह बाघीन नरभक्षी रहने पर मुहर लगाकर बाघीन को बेहोश कर पकडने के प्रयास करने चाहिए, उसमें विफल हुए तो आगामी जनहानी टालने के लिए जान से मारने के आदेश दिये थे. उसके दो शावकों को बेहोश कर पकडे और बचाव केंद्र में भेजने की बात आदेश में कही गई थी. उसके बाद 2 नवंबर 2018 को अवनी को जान से मारा गया. इस बीच अवनी के दो शावकों को पकडकर उनका पुनर्वसन करना चाहिए, निजी शिकारी शफत अली खान, अजगर अली खान, मुकबीर शेख व पशुवैद्यक अधिकारी डॉ.बी.एम.कडू पर फौजदारी कार्रवाई करनी चाहिए, इस तरह की मांग करने वाली याचिका वन्यजीव प्रेमी सरीता सुब्रमह्णम ने दाखिल की. इस याचिका की सुनवाई के दौरान अब शिकारियों ने प्रतीज्ञापत्र दाखिल किया है. इस याचिका की सुनवाई के दौरान यह प्रतीज्ञापत्र पेश किया गया. शिकारियों की ओर से एड. आदिल मिर्जा, याचिकाकर्ता की ओर से एड.श्रीरंग भांडारकर व वन विभाग की ओर से एड.कार्तिक शुकुल ने पक्ष रखा.