वरुड/दि.16 – तहसील में संतरा उत्पादकों की संख्या बड़े पैमाने पर होकर यहां से देश सहित विदेश में भी संतरा फलों की बिक्री की जाती है. इतना ही नहीं तो देश के कोने-कोने से लेकर बांग्लादेश के व्यापारी भी इस परिसर में आते हैं. संतरा, मोसंबी के लिए प्रसिध्द विदर्भ के केलिफोर्निया में 75 वर्ष में एक भी संतरा प्रक्रिया केंद्र न होना यह संतरा उत्पादकों के लिए शोकांतिका है. अर्थसंकल्पीय अधिवेशन में हुई घोषणा पूरी होती है क्या, इस ओर संतरा उत्पादकों का ध्यान लगा है.
शेंदूरजनाघाट में अमरावती फ्रुट ग्रोअर इंडस्ट्रीयल को-ऑपरेटीव सोसाइटी लिमिटेड नाम से संतरा ज्यूस निकालने वाली फैक्टरी 1957 में स्थापित की गई. मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण ने 27 नवंबर 1960 को इसका उद्घाटन किया था. उन्होंने ही विदर्भ का कॅलिफोर्निया ऐसा संबोधित किया था. संतरा प्रकल्प से बंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, कानपुर, अमृतसर आदि शहरों में संतरा ज्यूस पहुंचाया.
प्रकल्प बंद पड़ गया
1958 से 1963 दरमियान सुचारु चलने के बाद जिला मध्यवर्ती बैंक का कर्ज शुरु किए गए प्रकल्प को राजाश्रय न मिलने से आर्थिक तंगी आयी और प्रकल्प बंद पड़ गया. इसके बाद मांग होते गई लेकिन प्रकल्प नहीं मिला.
प्रकल्पों को लगा ग्रहण
1992 में सोपेक नाम से सहकारी तत्व पर संतरा प्रक्रिया प्रकल्प वरुड से सटे रोशनखेडा में शुरु किया गया. लेकिन वह बंद पड़ गया. बाद में तत्कालीन कृषि मंत्री हर्षवर्धन देशमुख ने नोगा शासकीय संतरा प्रकल्प मंजूर कर मायवाडी एमआइडीसी में बनाया. वह भी उदघाटन के बाद बंद पड़ गया. इस बार संतरे को दो से तीन हजार दाम मिल रहे हैं.
आश्वासन की पूर्ति नहीं
सन 2014 में तत्कालीन विधायक डॉ. अनिल बोंडे ने राष्ट्रीय कृषि व संतरा परिषद 1 से 4 अक्तूबर 2015 में वरुड के बाजार समिति प्रांगण में बुलाई थी. इस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने वरुड में संतरा डिहाइड्रेशन प्रकल्प और मोर्शी में संतरा प्रक्रिया केंद्र की घोषणा की थी. लेकिन यह आश्वासन अब तक पूरे नहीं किए गए. घोषणा और आश्वासनों की खैरात बाटकर संतरा उत्पादकों को इंतजार कराने का काम नेता कर रहे हैं. सभी घोषणाएं बीते 75 वर्षों से प्रलंबित है. जिसके चलते किसानों का अब सरकार की बातों पर भरोसा नहीं रहा.
कहां है अच्छे दिन?
27 दिसंबर 2017 में गव्हाणकुंड में सौर ऊर्जा प्रकल्प के भूमिपूजन समारोह में नितिन गडकरी ने मिहान में 5 हजार करोड़ का संतरा प्रकल्प रामदेव बाबा की ओर से स्थापित करने की जानकारी दी थी. लेकिन यह प्रकल्प अब तक स्थापित नहीं हुआ है. वहीं 2014 में कोका कोला का प्रकल्प वरुड में स्थापित करने की घोषणा की गई. वरुड का प्रकल्प मोेर्शी के हिवरखेड (ठाणाठुणी) में लाया गया. लेकिन इसके बाद यहां से यह प्रकल्प नांदेड़ भेजा गया.
फिर से घोषणा
10 मार्च 2021 में पेश किए गए बजट में अत्याधुनिक संतरा प्रक्रिया प्रकल्प साकार करने की घोषणा उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने की थी, लेकिन इसके लिए कितनी आर्थिक निधि का प्रावधान किया गया है, यह सवाल अब भी बना हुआ है.